खैर औद्योगिक इंटर कॉलेज भर्ती मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की
📍 प्रयागराज।
बस्ती जनपद के खैर औद्योगिक इंटर कॉलेज में 21 सहायक अध्यापकों के चयन को लेकर दायर याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मेराजुल हक व अन्य शिक्षकों की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि भर्ती प्रक्रिया में 12 मार्च 2018 के शासनादेश का पालन किया जाना आवश्यक था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
क्या है पूरा मामला?
कॉलेज प्रबंध समिति ने 7 जनवरी 2018 को प्रधानाचार्य और 29 एलटी ग्रेड अध्यापकों के रिक्त पद भरने का प्रस्ताव पारित किया था। इसके बाद 8 फरवरी 2018 को चयन समिति गठित की गई।
27 फरवरी 2018 को प्रधानाचार्य पद पर चयन कर उसका अनुमोदन भी शिक्षा निदेशक ने दे दिया।
लेकिन, 24 अप्रैल 2018 को एलटी ग्रेड अध्यापकों की भर्ती का विज्ञापन निकाला गया।
इसी बीच 12 मार्च 2018 को नया शासनादेश लागू हो चुका था, जिसमें चयन प्रक्रिया के नियम बदले गए थे।
कोर्ट का निर्णय ✍️
न्यायमूर्ति दोनाडी रमेश की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि भर्ती की प्रक्रिया उस समय चल रही थी जब नया शासनादेश लागू हो चुका था, इसलिए चयन में उसका पालन करना आवश्यक था।
चूंकि प्रक्रिया पुराने नियमों के तहत चलाई गई, इसलिए चयन को वैध नहीं माना जा सकता।
अभ्यर्थियों पर असर 🤔
- इस फैसले से साफ हो गया कि भर्ती प्रक्रिया के बीच में नया शासनादेश लागू होने पर उसी का पालन करना अनिवार्य है।
- जिन 21 सहायक अध्यापकों का चयन हुआ था, उन्हें अब नियुक्ति की उम्मीदों पर झटका लगा है।
- शिक्षक अभ्यर्थी लगातार यह सवाल उठा रहे हैं कि जब वह चयनित हो चुके थे, तो शासनादेश को बीच में लागू करना न्यायसंगत है या नहीं?
“सरकारी कलम” की टिप्पणी ✍️
यह फैसला एक बार फिर से शिक्षक भर्ती प्रक्रियाओं में अनिश्चितता और असमंजस को उजागर करता है। बार-बार नियम बदलने से योग्य अभ्यर्थियों का करियर दांव पर लग जाता है। जब तक सरकार भर्ती के नियमों को स्पष्ट और स्थिर नहीं करेगी, तब तक न तो अभ्यर्थियों को न्याय मिलेगा और न ही शिक्षा व्यवस्था को स्थायित्व।