बीटेक के बाद नौकरी पाने वालों में तमिलनाडु देश में सबसे आगे 🚀

बीटेक के बाद नौकरी पाने वालों में तमिलनाडु देश में सबसे आगे 🚀

एआईसीटीई की पांच साल की कैंपस प्लेसमेंट रिपोर्ट में पता चला है कि बीटेक/बीई के बाद नौकरी पाने वाले छात्रों में तमिलनाडु सबसे आगे है। उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश ने मजबूत प्रदर्शन किया है, जबकि महाराष्ट्र दूसरी पोजीशन पर है — जहाँ हर साल एक लाख से अधिक स्नातकों को डिग्री से पहले ऑफर-लेटर मिल रहे हैं।

रिपोर्ट का सार — क्या बिन्दु प्रमुख हैं? 🧾

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) के पांच साल के डेटा (2020-21 से 2024-25) का विश्लेषण दर्शाता है कि:

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  • तमिलनाडु लगातार शीर्ष पर — वार्षिक प्लेसमेंट लगभग 1.6 से 1.75 लाख के बीच।
  • महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर — यहां प्रतिवर्ष 1 लाख से अधिक स्नातक छात्रों को डिग्री से पहले नौकरी के ऑफर मिलते हैं।
  • कर्नाटक — 2024-25 में 79,644 प्लेसमेंट; बंगलूरू का नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र इसका बड़ा कारण।
  • दक्षिण-मध्य क्षेत्र (तेलंगाना + आंध्र प्रदेश) — 2020-21 की 1.23 लाख प्लेसमेंट से बढ़कर 2024-25 में ~1.57 लाख पर पहुंचा।
  • बिहार में उल्लेखनीय उछाल — 5 साल में प्लेसमेंट 4,414 → 12,213 हुआ।

उत्तर भारत का परफॉर्मेंस — यूपी टॉप, अन्य राज्यों में बदलाव 🔼🔽

उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा। रिपोर्ट के प्रमुख आँकड़े (2024-25):

  • उत्तर प्रदेश: 2020-21 में ~63,000 से बढ़कर 2024-25 में ~72,000 प्लेसमेंट।
  • उत्तराखंड: ~6,000 प्लेसमेंट (2024-25)।
  • राजस्थान: ~14,000 प्लेसमेंट (2024-25)।
  • दिल्ली: ~13,000 प्लेसमेंट (2024-25)।
  • हरियाणा: ~22,000 प्लेसमेंट (2024-25)।
  • हिमाचल प्रदेश: ~1,700 प्लेसमेंट (2024-25)।
  • मध्य प्रदेश: ~41,000 प्लेसमेंट (2024-25)।

वहीँ पंजाब, चंडीगढ़ और जम्मू-कश्मीर में प्लेसमेंट में मामूली गिरावट देखी गई है — जबकि कई दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों ने स्थिर या सुधारता हुआ ट्रेंड दिखाया है।

क्यों बढ़ रहे प्लेसमेंट? — कारण और कारक 🧭

रिपोर्ट के अनुसार प्रमुख कारणों में शामिल हैं:

  • नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र — बंगलूरू जैसे केंद्रों में तकनीकी और स्टार्टअप इकोसिस्टम का सकारात्मक प्रभाव।
  • कौशल विकास — व्यावहारिक प्रशिक्षण, इंडस्ट्री-रेडी पाठ्यक्रम और इंटर्नशिप अवसरों का विस्तार।
  • इंडस्ट्री-एकेडेमिया सहयोग — कंपनियों का कैंपस रिक्रूटमेंट और कस्टम ट्रेनिंग प्रोग्राम।
  • क्षेत्रीय नीतियाँ — कुछ राज्यों की नीतियां और निवेश स्टार्टअप-फोकस्ड जॉब क्रिएशन को प्रोत्साहित कर रही हैं।

चुनौतियाँ और सुधार के क्षेत्र 🛠️

हालाँकि प्लेसमेंट में समग्र सुधार है, पर कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं:

  1. रोजगार की गुणवत्ता: सिर्फ संख्या से काम नहीं चलेगा — स्थायी और स्किल-मिलाकर वेतनमान वाली जॉब्स जरूरी हैं।
  2. नैरो स्पेशलाइजेशन: कुछ विषयों (जैसे नवाचार/AI/डेटा साइंस) में प्लेसमेंट कंसंट्रेटेड हैं, इसलिए अन्य क्षेत्रों के विद्यार्थियों के लिए अवसर सीमित।
  3. रीजनल असमानता: कुछ राज्यों/क्षेत्रों में अभी भी आधारभूत उद्योग और इन्फ्रास्ट्रक्चर का अभाव।
  4. इंटर्नशिप-टू-हायर-रिटेशन: इंटर्नशिप को स्थायी नौकरी में बदलने की व्यवस्था मजबूत करें।

स्टूडेंट्स और कॉलेजों के लिए सुझाव ✅

छात्र और शैक्षणिक संस्थान दोनों मिलकर प्लेसमेंट बेहतर कर सकते हैं — कुछ व्यवहारिक कदम:

  • छात्रों के लिए: कौशल-आधारित कोर्स करें, प्रोजेक्ट-पोर्टफोलियो बनाएं, और इंडस्ट्री इंटर्नशिप लें।
  • कॉलेजों के लिए: इंडस्ट्री-लिंक्ड कैरीकुलम, प्लेसमेंट-फोकस्ड ट्रेनिंग सेल और कैरियर काउंसलिंग सशक्त करें।
  • राज्य/पॉलिसी मेकरों के लिए: स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा दें, स्टार्टअप-इन्क्यूबेशन का समर्थन करें और प्लेसमेंट इकोसिस्टम को अनुकूल बनाएं।

निष्कर्ष: AICTE की पांच साल की रिपोर्ट दर्शाती है कि भारत के टेक्निकल एजुकेशन-इकोसिस्टम में सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं — विशेषकर तमिलनाडु, महाराष्ट्र और दक्षिण-मध्य राज्यों में। उत्तर प्रदेश ने उत्तर भारत का नेतृत्व सँभाला हुआ है। पर यह भी स्पष्ट है कि गुणवत्ता, समावेशन और क्षेत्रीय संतुलन पर और काम करने की आवश्यकता है ताकि हर स्नातक के लिए सार्थक और टिकाऊ रोजगार सुनिश्चित किया जा सके। 🎯

© विशेष रिपोर्ट — AICTE डेटा के आधार पर

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