ओज़ोन परत (Ozone Layer) पृथ्वी के वायुमंडल का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह परत स्ट्रैटोस्फ़ीयर (Stratosphere) में लगभग 10 से 50 किलोमीटर की ऊँचाई पर पाई जाती है।
मुख्य बातें ओज़ोन परत के बारे में:
🌍 1. ओज़ोन (O₃) क्या है?
- ओज़ोन ऑक्सीजन (O₂) का विशेष रूप है जिसमें 3 ऑक्सीजन परमाणु होते हैं।
- यह नीली गैस होती है और इसकी गंध तेज़ होती है।
☀️ 2. ओज़ोन परत का काम
- सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों (UV Rays) को रोकती है।
- अगर यह परत न हो तो ये किरणें सीधे पृथ्वी पर आकर इंसानों, जानवरों और पौधों को नुकसान पहुँचा सकती हैं।
- ओज़ोन हमें स्किन कैंसर, आँखों की बीमारियों (मोतीयाबिंद), प्रतिरक्षा तंत्र की कमजोरी आदि से बचाती है।
⚠️ 3. ओज़ोन परत को खतरे
- CFCs (Chlorofluorocarbons), हैलोन, कार्बन टेट्राक्लोराइड जैसी गैसें ओज़ोन को नष्ट करती हैं।
- ये गैसें मुख्य रूप से पुराने फ्रिज, ए.सी., स्प्रे, और फोम प्रोडक्ट्स से निकलती हैं।
- इन गैसों की वजह से ओज़ोन परत में “ओज़ोन होल” बनने लगा है, खासकर अंटार्कटिका के ऊपर।
🌱 4. ओज़ोन परत की सुरक्षा
- 1987 में दुनिया के देशों ने Montreal Protocol समझौता किया था, जिसमें CFCs जैसी गैसों पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया।
- आज अधिकांश देशों ने इन हानिकारक गैसों का इस्तेमाल काफी हद तक बंद कर दिया है।
- पेड़-पौधे लगाना और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाना भी अप्रत्यक्ष रूप से मदद करता है।
📅 5. अंतरराष्ट्रीय ओज़ोन दिवस
- हर साल 16 सितम्बर को International Day for the Preservation of the Ozone Layer मनाया जाता है।
👉 आसान शब्दों में: ओज़ोन परत पृथ्वी की “सुरक्षा कवच” है, जो हमें सूर्य की खतरनाक किरणों से बचाती है।
CFC (chlorofluorocarbons) ओज़ोन को कैसे नष्ट करते हैं —
1) CFC का स्ट्रैटोस्फियर तक पहुँचना
CFCs ज़मीन पर बनती और छोड़ी जाती हैं (फ्रिज, एयर-स्प्रे, फोम) → वे भारी नहीं नहीं होतीं पर बहुत स्थिर होती हैं → वर्षों तक नष्ट नहीं होतीं → धीरे-धीरे स्ट्रैटोस्फीयर (≈10–50 km) तक पहुँच जाती हैं।
2) फ़ोटोलाइसिस — CFC टूटते हैं और Cl रैडिकल बनता है
स्ट्रैटोस्फियर में उच्च-ऊर्जा UV रोशनी CFCs को तोड़ देती है। उदाहरण:CCl3F + hν → CCl2F· + Cl·
यहाँ Cl·
(आज़ाद क्लोरीन रैडिकल) बनता है — बेहद प्रतिक्रियाशील।
3) क्लोरीन रैडिकल का ओज़ोन पर कैटेलिटिक हमला
एक क्लोरीन रैडिकल कई ओज़ोन अणुओं को नष्ट कर सकता है क्योंकि यह स्वतः पुनरुत्पादित (regenerate) हो जाता है। मुख्य चक्र:
(1) Cl· + O3 → ClO· + O2
(2) ClO· + O· → Cl· + O2
संपूर्ण (net) प्रभाव:O3 + O· → 2 O2
ध्यान दें: Cl· पहले ओज़ोन से जुड़कर ClO बनाता है, फिर ClO किसी अन्य ऑक्सीजन परमाणु (या O·) से प्रतिक्रिया करके Cl· वापस कर देता है — इसलिए एक ही Cl· लगातार ओज़ोन नष्ट कर सकता है। एक Cl· हज़ारों ओज़ोन अणु नष्ट कर सकता है।
4) पोलर स्ट्रैटोस्फेरिक क्लाउड्स (PSC) और ओज़ोन-होल का कारण
- अंटार्कटिका में ठंडे मौसम में पोलर स्ट्रैटोस्फेरिक क्लाउड्स बनते हैं।
- इन बादलों की सतहों पर HCl और ClONO2 जैसे गैर-प्रतिक्रियाशील यौगिकों से Cl2 बनता है (हेटेरोजीनियस रिएक्शन)।
- जब धूप आती है, Cl2 फोटोलाइज होकर दो Cl· बनाता है — और अचानक बहुत ज्यादा सक्रिय क्लोरीन उपलब्ध हो जाता है → तेज़ी से ओज़ोन घटता है → यही ओज़ोन होल बनता है (विशेषकर अंटार्कटिका के ऊपर)।
5) और भी प्रभावी है — ब्रोमीन
Bromine वाले यौगिक (जैसे halons) भी ओज़ोन को नष्ट करते हैं और क्लोरीन से भी ज़्यादा प्रभावी हो सकते हैं — पर मात्रा में कम होते हैं।
6) क्यों यह समस्या बड़ी बनी रही?
- CFCs बहुत स्थायी होते हैं (कई साल–दशक)।
- एक बार स्ट्रैटोस्फियर पहुँचने के बाद वे टूटकर रैडिकल छोड़ देते हैं जो कैटैलिटिक चक्र से लाखों O3 अणु नष्ट कर सकते हैं।
7) समाधान और प्रगति (संक्षेप में)
Montreal Protocol जैसे अंतरराष्ट्रीय समझौते के कारण CFCs का उपयोग कम हुआ—जिससे ओज़ोन परत धीरे-धीरे ठीक होने लगी है — पर पूरा सुधार दशकों ले सकता है क्योंकि CFC अब भी वातावरण में बने हुए हैं।
ओज़ोन परत को बचाने और सुधारने के लिए विश्व स्तर पर कई सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं।
🌍 अब तक उठाए गए और जारी सुधारात्मक कदम
1. Montreal Protocol (1987)
- यह सबसे बड़ा और सफल अंतरराष्ट्रीय समझौता है।
- इसमें देशों ने तय किया कि CFCs, Halons, Carbon Tetrachloride, Methyl Chloroform जैसी ODS (Ozone Depleting Substances) को धीरे-धीरे बंद करेंगे।
- समय-समय पर इसमें संशोधन (Amendments) भी हुए (लंदन 1990, कोपेनहेगन 1992, मॉन्ट्रियल 1997, बीजिंग 1999)।
2. Kigali Amendment (2016)
- इसमें HFCs (Hydrofluorocarbons) को भी नियंत्रित करने का निर्णय लिया गया।
- HFCs सीधे ओज़ोन को नुकसान नहीं पहुँचाते लेकिन ये ग्रीनहाउस गैसें हैं, इसलिए जलवायु परिवर्तन में बड़ा योगदान देती हैं।
3. ODS का विकल्प
- अब CFCs और Halons की जगह पर्यावरण-मित्र गैसें प्रयोग हो रही हैं:
- HCFCs (Hydrochlorofluorocarbons) → ये कम हानिकारक हैं पर इन्हें भी धीरे-धीरे बंद किया जा रहा है।
- HFCs और प्राकृतिक रेफ्रिजरेंट्स (जैसे अमोनिया, CO₂, हाइड्रोकार्बन गैसें)।
4. राष्ट्रीय नीतियाँ (India का योगदान)
- भारत ने भी ODS phase-out program चलाया है।
- पुराने रेफ्रिजरेटर, एयर-कंडीशनर, स्प्रे आदि में CFC का प्रयोग बंद कर दिया गया।
- “Ozone Cell” (Ministry of Environment, Forest and Climate Change) बनाई गई है जो सभी योजनाओं की निगरानी करती है।
5. वैकल्पिक तकनीक को बढ़ावा
- Energy-efficient और eco-friendly ACs, refrigerators का उपयोग।
- Industries को नई तकनीक अपनाने के लिए आर्थिक व तकनीकी मदद।
6. जागरूकता और शिक्षा
- हर साल 16 सितम्बर को International Ozone Day मनाया जाता है।
- स्कूलों, कॉलेजों और मीडिया के जरिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
7. वैज्ञानिक मॉनिटरिंग
- NASA, WMO और अन्य संगठन लगातार उपग्रह और प्रयोगशालाओं से ओज़ोन परत की निगरानी करते हैं।
- रिपोर्ट्स बताती हैं कि अब धीरे-धीरे ओज़ोन परत में सुधार हो रहा है और अनुमान है कि लगभग 2050-2070 तक यह काफी हद तक सामान्य हो जाएगी।
👉
CFC जैसी हानिकारक गैसों पर रोक, उनके विकल्पों का इस्तेमाल, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और जागरूकता ही वो कदम हैं जिनसे ओज़ोन परत धीरे-धीरे ठीक हो रही है। 🌱
लेखक :टीम सरकारी कलम