सहायक अध्यापक भर्ती पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब 🏛️
लखनऊ। सहायक अध्यापक भर्ती को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने सवाल किया है कि जब 1998 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत जीव विज्ञान, भौतिकी और रसायन विज्ञान को संयुक्त रूप से ‘विज्ञान’ विषय घोषित किया जा चुका है, तो फिर भर्ती विज्ञापन में जीव विज्ञान के लिए अलग पद क्यों निकाले गए?
मामला क्या है?
- लोक सेवा आयोग ने 28 जुलाई 2025 को एलटी ग्रेड सहायक अध्यापक भर्ती का विज्ञापन जारी किया।
- इसमें सहायक अध्यापक (विज्ञान) और सहायक अध्यापक (जीव विज्ञान) के पद अलग-अलग दिखाए गए।
- इस पर जंतु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, रसायन और भौतिक विज्ञान से स्नातक अभ्यर्थियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
याचियों की दलील 🧑🏫
- 28 मई 1998 को माध्यमिक शिक्षा परिषद ने सभी विद्यालयों को पत्र जारी किया था कि हाईस्कूल स्तर पर केवल एक ही विज्ञान पेपर होगा।
- जैसे इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र को मिलाकर सामाजिक विज्ञान बना दिया गया था, उसी तरह विज्ञान भी एकीकृत होना चाहिए।
- भर्ती में अलग-अलग योग्यता तय करना भेदभावपूर्ण है।
कोर्ट का रुख
- न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति अरुण कुमार की खंडपीठ ने मामले को विचारणीय माना।
- सरकार से 10 दिनों के भीतर जवाबी हलफनामा मांगा गया।
- अगली सुनवाई 16 सितम्बर को होगी।
निष्कर्ष
इस मामले से यह साफ होता है कि शिक्षा व्यवस्था में स्पष्ट नीतियों की कमी के कारण भर्ती प्रक्रियाएं उलझन में फंस रही हैं। शिक्षकों का कहना है कि जब एक ही विज्ञान विषय मान्य है, तो पदों में अलगाव केवल भ्रम और विवाद को जन्म देता है।
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