टीईटी अनिवार्यता पर पुनर्विचार की मांग तेज – सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने शिक्षकों की आवाज़ उठाई 📢


टीईटी अनिवार्यता पर पुनर्विचार की मांग तेज – सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने शिक्षकों की आवाज़ उठाई 📢

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश जारी किया है कि कक्षा 1 से 8 तक के सभी शिक्षकों को दो वर्षों के भीतर शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करना अनिवार्य होगा। न्यायालय का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है, लेकिन यह आदेश हजारों कार्यरत शिक्षकों के भविष्य पर संकट खड़ा कर रहा है।

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सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने क्या कहा?

नगीना से सांसद एडवोकेट चंद्रशेखर आज़ाद ने माननीय मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की है। उनका कहना है कि:

  1. पूर्व नियुक्त शिक्षकों के साथ अन्याय होगा:
    जिन शिक्षकों की नियुक्ति शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने से पहले हुई थी, उनके लिए यह नियम अनुचित है।
  2. अनुभव और योगदान की अनदेखी:
    परिषदीय विद्यालयों के अनुभवी शिक्षकों ने सीमित संसाधनों में भी ग्रामीण और गरीब बच्चों को शिक्षित किया है। अचानक टीईटी की शर्त थोपना सही नहीं।
  3. उम्र और मानसिक दबाव:
    20–25 साल से सेवा कर रहे शिक्षकों के लिए प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा की तैयारी बेहद कठिन है, जिससे मानसिक तनाव और बेरोजगारी बढ़ सकती है।
  4. शैक्षणिक ढांचे पर असर:
    यदि अनुभवी शिक्षकों को बाहर किया गया तो प्राथमिक शिक्षा की नींव हिल जाएगी।
  5. भर्ती की शर्तें बदलना अनुचित:
    जिस समय विज्ञप्ति निकली थी, उस समय टीईटी अनिवार्य नहीं था। बाद में नियम लागू करना न्यायसंगत नहीं।
  6. आर्थिक संकट का खतरा:
    गृह ऋण और शिक्षा ऋण चुका रहे शिक्षकों के परिवार पर गहरा संकट आएगा।

क्या है उनकी मांग?

  • कार्यरत शिक्षकों को इस आदेश से छूट दी जाए।
  • उनके लिए सरल प्रशिक्षण/रेफ्रेशर कोर्स की व्यवस्था हो।
  • नई भर्ती में यह नियम सख्ती से लागू किया जाए।

निष्कर्ष

सांसद ने सर्वोच्च न्यायालय से अपील की है कि शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखते हुए शिक्षकों और उनके परिवारों के भविष्य को सुरक्षित किया जाए।


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