टीईटी अनिवार्यता पर फिर बवाल: एलटी ग्रेड भर्ती और पदोन्नति दोनों पर संकट गहराया
उत्तर प्रदेश में राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड (सहायक अध्यापक) भर्ती और सरकारी प्राथमिक शिक्षकों की उच्च प्राथमिक स्कूलों में पदोन्नति – दोनों ही मामलों में टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) की अनिवार्यता को लेकर विवाद गहराता जा रहा है।
हाईकोर्ट ने एलटी ग्रेड भर्ती पर उठाए सवाल
- एनसीटीई की गाइडलाइन के बावजूद टीईटी अनिवार्य नहीं किया गया।
- एलटी ग्रेड शिक्षक कक्षा 6 से 10 तक पढ़ाते हैं, लेकिन भर्ती विज्ञापन (28 जुलाई) में इसकी स्पष्टता नहीं।
- हाईकोर्ट ने पूछा: क्या ये शिक्षक सिर्फ कक्षा 9–10 को पढ़ाएंगे या 6–8 को भी?
- प्रमुख सचिव (माध्यमिक शिक्षा) से 2 हफ्तों में जवाब मांगा गया।
- अगली सुनवाई: 11 सितंबर।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आज
- पदोन्नति में टीईटी की अनिवार्यता और अल्पसंख्यक विद्यालयों में आरटीई कानून के लागू होने-न-होने पर फैसला।
- मामला: अंजुमन इश्त ए तालीम ट्रस्ट बनाम महाराष्ट्र सरकार।
- फैसले से देशभर के लाखों शिक्षकों पर असर पड़ेगा।
- यूपी में 2017 से पदोन्नति रुकी हुई है।
- मद्रास हाईकोर्ट (2 जून 2023) ने कहा था:
- उच्च प्राथमिक पदोन्नति = उच्च प्राथमिक टीईटी अनिवार्य
- प्राथमिक प्रधानाध्यापक पदोन्नति = प्राथमिक टीईटी अनिवार्य
टीईटी विवाद की पृष्ठभूमि
- दीपक शर्मा मामला (2017): इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पदोन्नति में टीईटी अनिवार्य ठहराया।
- 31 जनवरी 2023: प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन विवाद के चलते रोक।
- तमिलनाडु सरकार बनाम आर. वरुण की याचिका में यूपी के शिक्षकों ने भी हस्तक्षेप किया।
- मुख्य मांगें:
- 23 अगस्त 2010 या 29 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी लागू न हो।
- पदोन्नति प्रक्रिया को टीईटी विवाद से मुक्त कर आगे बढ़ाया जाए।