त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बीएलओ ड्यूटी पर विवाद: शिक्षामित्रों ने जताई आपत्ति 🗳️
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर बीएलओ (BLO) ड्यूटी पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। ग्राम पंचायत स्तर पर शिक्षामित्र, रोजगार सेवक, आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को बीएलओ बनाया जा रहा है, लेकिन इन कर्मियों ने इस व्यवस्था पर कड़ा विरोध जताया है।
क्या है विवाद का कारण?
चयनित कर्मियों का कहना है कि उनका परिवार उसी ग्रामसभा में निवास करता है। ऐसे में अगर कोई परिजन या सजातीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में हो, तो उन पर पक्षपात के आरोप लग सकते हैं।
- संभावित आरोप: वोट बढ़ाने या घटाने के
- खतरा: झूठे मुकदमे और कानूनी कार्यवाही
शिक्षामित्रों का विरोध
प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वसीम अहमद ने राज्य निर्वाचन आयोग, मुख्य सचिव, मंडलायुक्त और जिलाधिकारी को पत्र भेजकर मांग की है:
“ग्राम पंचायत के अधीन अस्थायी कर्मियों की ड्यूटी बीएलओ के रूप में न लगाई जाए।”
क्या हो सकता है असर?
यदि उनकी मांगों को माना जाता है, तो पंचायत स्तर पर अस्थायी कर्मियों को बीएलओ ड्यूटी से मुक्त किया जा सकता है।
अन्यथा, चुनाव प्रक्रिया में उनकी भागीदारी से विवाद और कानूनी चुनौतियां बढ़ सकती हैं।
सरकारी कलम की राय
यह एक संवेदनशील और निष्पक्षता से जुड़ा मुद्दा है। जिस ग्रामसभा में किसी का परिवार रहता हो, वहां उसकी ड्यूटी लगाने से स्वाभाविक रूप से हितों का टकराव (Conflict of Interest) पैदा हो सकता है।
सरकार और निर्वाचन आयोग को निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए पारदर्शी नीति बनानी चाहिए।