शिक्षकों को बीएलओ (Booth Level Officer) के रूप में तैनात करने में ‘अंतिम विकल्प’ के सारे आदेश उनकी पृष्ठभूमि और मौजूदा स्थिति पर सरकारी कलम की विशेष रिपोर्ट


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शिक्षकों को बीएलओ (Booth Level Officer) के रूप में तैनात करने में ‘अंतिम विकल्प’ की भूमिका — एक विस्तृत विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण

1. पृष्ठभूमि और पूर्व निर्देश (2010–2022)

  • भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने 3 नवंबर 2010 को जारी आदेश (पत्र संख्या 23/बीएलओ/2010/ईआरएस) में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि बीएलओ को केवल एक मतदान बूथ के लिए जिम्मेदार रखा जाए। शिक्षकों के अतिरिक्त सरकारी/अर्धसरकारी कर्मचारियों की एक सूची संलग्न की गई, जिनमें आंगनवाड़ी वर्कर, पटवारी, ग्रामस्तरीय कामगार, बिजली बिल रीडर, डाकिया, स्वास्थ्यकर्मी, मध्यान्ह भोजन कार्यकर्ता आदि शामिल थे। शिक्षकों को न्यूनतम और अंतिम विकल्प के रूप में ही नियुक्त करने का स्पष्ट आदेश भी दिया गया था।
  • इस विषय में पुनः संकेत देते हुए चयन की दिशा-निर्देशावली (Guidelines) 1.2 और 1.5(D) (04.10.2022) में शिक्षकों को एक आखिरी विकल्प के रूप में ही नियुक्त करने के निर्देश शामिल थे।
  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी फ़रवरी 2025 में “सूर्य प्रताप सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य” मामले (आयुक्त संख्या 16401/2024, आदेश दिनांक: 11.02.2025) में स्पष्ट रूप से कहा कि शिक्षकों को केवल तभी बीएलओ बनाया जाए जब अन्य श्रेणियों के कर्मचारी उपलब्ध न हों। इसमें पैराग्राफ 39 और 40 प्रमुख हैं—”Teachers will be employed on election duties only after all other categories … exhausted”—यह बातें आदेश में विरचित हैं (LawBeat, The Law Advice)।

2. उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय का दृष्टिकोण (फरवरी 2025)

  • अदालत ने शिक्षकों को मतदान कार्यों में लगाने से पहले अन्य सभी श्रेणियों की पात्रता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया और कहा कि शिक्षकों को बिना विकल्पों के पूर्ण परीक्षण के तैनात करना शैक्षणिक अधिकार (Right to Education) एवं शिक्षण की गुणवत्ता दोनों के लिए हानिकारक है (LawBeat, Hindustan Times)।
  • अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि तैनाती की पुनः समीक्षा आगामी तीन महीनों में पूरी की जाए, और तब तक आरोपित शिक्षक अपनाए गए आदेशों के अनुसार ही कार्य करें (LawBeat, The Law Advice)।

3. 2025 में घटते घटनाक्रम: संघर्ष और अद्यतन स्थिति

  • पश्चिम बंगाल में बदलाव: जून 2025 में निर्वाचन आयोग ने नए दिशानिर्देश जारी किए, जिसमें स्पष्ट किया गया कि सिर्फ Group C और उससे ऊपर के नियमित राज्य/स्थानीय सरकारी या अर्ध-सरकारी कर्मचारी ही बीएलओ बन सकते हैं। अगर वे उपलब्ध न हों तो आंगनवाड़ी वर्कर, अनुबंधित शिक्षक या केंद्रीय कर्मचारी को ही तैनात किया जाए, मगर ऐसे मामले में “non-availability certificate” पेश करना अनिवार्य है (Telegraph India)।
  • शैक्षणिक एवं निर्वाचन विभागों में टकराव: जुलाई 2025 में EducationWorld ने रिपोर्ट किया कि शैक्षणिक विभाग ने शिक्षक को गैर-शिक्षण कार्यों से मुक्त रखने के लिए सर्कुलर जारी किया, जबकि मुख्य निर्वाचन कार्यालय (CEO) ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि शिक्षक छुट्टियों या गैर-शिक्षण दिनों में BLO/शैक्षणिक कामों के लिए तैनात हो सकते हैं, जैसा कि पूर्वनिर्देशों में वर्णित है (Education World)।
  • कोलकाता उच्च न्यायालय का हालिया निर्णय (अगस्त 2025): एक समूह द्वारा बीएलओ के रूप में तैनाती पर याचिका दायर की गई—जहाँ न्यायालय ने कहा: “The nation needs your service”, अर्थात राष्ट्रीय सेवा के लिए शिक्षकों को कभी-कभी अतिरिक्त कार्य करना पड़ सकता है। अदालत ने निर्देश दिया कि तैनाती केवल EC के दिशानिर्देशों के अनुसार करना है, और सुनिश्चित करें कि एकल-शिक्षक स्कूलों को इससे प्रभावित न किया जाए (The Times of India)।
  • विशेष गहन संशोधन (SIR) और BLO प्रशिक्षण: अगस्त 2025 में निर्वाचन आयोग ने सभी राज्यों में SIR के लिए BLOs, उनके पर्यवेक्षकों तथा BLAs के विवरण जल्दी प्रस्तुत करने हेतु कहा। BLO कार्य आमतौर पर 1–2 दिन प्रति माह होता है, SIR में यह बढ़कर 4–5 दिन प्रति माह हो सकता है; BLO को उसी मतदान क्षेत्र (home booth) में तैनात कर अधिक बोझ से बचने का निर्देश है (The Times of India)।
  • तदुपरांत, पश्चिम बंगाल में 900 BLOs के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए—जिसे TMC ने संशय के साथ देखा, किन्तु निर्वाचन आयोग ने SIR और मतदान की तत्परता महत्वपूर्ण बता कर आगे बढ़ाया (The Times of India)। साथ ही देशव्यापी BLO एवं ERO प्रशिक्षण अभियान को भी तीव्रता दी गई (The Economic Times)।

4. निष्कर्षात्मक समालोचना और सुझाव

प्रमुख निष्कर्ष:

  1. निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि शिक्षक केवल उस स्थिति में बीएलओ बनें, जब अन्य योग्य सरकारी/अर्धसरकारी कर्मचारी उपलब्ध नहीं हों। यह प्राथमिकता सूची शुरुआती निर्देश (2010), पुनर्निर्देश (2022), और उच्च न्यायालय की व्याख्या (2025) में सम्मिलित है।
  2. इलाहाबाद उच्च न्यायालय और अन्य न्यायालयों ने शिक्षकों को बीएलओ तैनात करने में सावधानी बरतने हेतु एवं शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने हेतु मार्गदर्शन किया है।
  3. 2025 की प्रगतियों में:
    • चुनावी प्रबंधन ने Group C और उससे ऊपर की श्रेणियों को प्राथमिकता देने पर जोर दिया।
    • शिक्षकों के BLO के रूप में तैनाती पर शैक्षणिक और निर्वाचन विभागों में टकराव देखा गया।
    • उच्च न्यायालयों द्वारा राष्ट्रीय आवश्यकता के संदर्भ में सहमति के साथ सीमित तैनाती को उचित ठहराया गया।

सिफारिशें:

  • निर्वाचन अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शिक्षकों की भूमिका को न्यूनतम रखा जाए, और उन्हें केवल छुट्टियों या गैर-शिक्षण समय में तैनात किया जाए।
  • शैक्षणिक विभागों को स्पष्ट सहमति और समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता है ताकि शिक्षकों पर चुनावी कार्यभार से शैक्षणिक कार्य प्रभावित न हो।
  • Group C या उससे ऊपर के कर्मियों के अभाव में, शिक्षकों को तैनात करने से पूर्व ‘non-availability certificate’ प्रस्तुत करना और प्रक्रिया की पारदर्शिता बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
  • नीतिगत दस्तावेजों में स्पष्टता और एकीकृत दृष्टिकोण विकसित करना आवश्यक है, जिससे शिक्षकों की प्राथमिकता, अधिकार और निर्वाचन की व्यावहारिकता सुचारू रूप से संतुलित हो सके।

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