📰 विशिष्ट बीटीसी 2004 के शिक्षकों को मिले पुरानी पेंशन का हक ✊📚
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में वर्ष 2004 की विशिष्ट बीटीसी भर्ती प्रक्रिया एक मील का पत्थर मानी जाती है। इसी भर्ती के अंतर्गत 14 जनवरी 2004 के शासनादेश और 21/22 जनवरी 2004 को प्रकाशित विज्ञापन (संशोधित 20 फरवरी 2004) के जरिए प्राथमिक विद्यालयों में 46,189 सहायक अध्यापकों की व्यवस्था की गई थी।
इस प्रक्रिया के अंतर्गत लगभग 35,000 शिक्षकों का चयन हुआ, जिन्हें 6 माह का प्रशिक्षण देने के बाद दिसंबर 2005 में नियुक्त किया गया। यह नियुक्ति पूरी तरह से सरकारी प्रक्रिया और विज्ञापन के तहत हुई थी।
📌 सरकार का खुद का रिकॉर्ड
निदेशक, बेसिक शिक्षा ने अपने पत्र (31 अक्टूबर 2005, पैरा-14) में साफ़ लिखा था कि इन नियुक्तियों के लिए नया विज्ञापन निकालने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सारी कार्यवाही पहले ही एससीआरटी द्वारा पूरी की जा चुकी थी। यानी यह भर्ती नयी नहीं थी, बल्कि पहले से अधिसूचित और विज्ञापित रिक्तियों पर आधारित थी।
🧾 28 जून 2024 का शासनादेश और OPS
28 जून 2024 को राज्य सरकार ने स्पष्ट शासनादेश जारी किया कि—
👉 नयी पेंशन नीति लागू होने से पहले विज्ञापित भर्ती में चयनित कर्मचारियों/शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना (OPS) का लाभ दिया जाएगा।
इस प्रावधान के अनुसार, विशिष्ट बीटीसी 2004 भर्ती के तहत नियुक्त सभी शिक्षक OPS के दायरे में आते हैं।
✊ शिक्षकों की मांग
विधान परिषद सदस्य अरुण पाठक ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा है कि—
- यह विषय लोक महत्व का और अविलम्बनीय है।
- सरकार को तत्काल प्रभाव से 2004 विशिष्ट बीटीसी चयन प्रक्रिया से नियुक्त शिक्षकों को OPS का लाभ देना चाहिए।
- पेंशन केवल अधिकार नहीं, बल्कि इन शिक्षकों के भविष्य की सुरक्षा है।
❓ सवाल उठता है…
- जब भर्ती और विज्ञापन दोनों 2004-05 में ही पूरे हो चुके थे, तो सरकार शिक्षकों को OPS से वंचित कैसे कर सकती है?
- क्या यह न्यायसंगत है कि एक ही भर्ती प्रक्रिया से जुड़े शिक्षक अलग-अलग पेंशन योजनाओं में बाँट दिए जाएँ?
✍️ “सरकारी कलम” की राय
शिक्षक समाज प्रदेश की रोजगार रीढ़ है। यदि सरकार खुद जारी शासनादेशों और नियमों का पालन नहीं करेगी, तो यह शिक्षकों के साथ न्याय का खुला उल्लंघन होगा।
विशिष्ट बीटीसी 2004 के सभी शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलना ही चाहिए।
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