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लखनऊ, 12 अगस्त 2025 –
उत्तर प्रदेश विधानसभा के द्वितीय सत्र 2025 के प्रथम मंगलवार को मुंगरा बादशाहपुर के विधायक श्री पंकज पटेल ने सदन में वह सवाल रखा, जो हर शिक्षक और अभिभावक के मन में सालों से है —
“हमारे बच्चों को पढ़ाने के लिए आखिर कितने शिक्षक हैं और कितने की जरूरत है?” 📚
🏫 सरकार के आँकड़े चौंकाने वाले हैं
बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने बताया –
प्राथमिक विद्यालय
- 📌 छात्र नामांकन: 1,04,93,389
- 📌 स्वीकृत पद: 4,17,886
- 📌 कार्यरत शिक्षक: 3,38,590
उच्च प्राथमिक विद्यालय
- 📌 छात्र नामांकन: 43,14,803
- 📌 स्वीकृत पद: 1,62,198
- 📌 कार्यरत शिक्षक: 1,20,860
यानि पूरे प्रदेश में लाखों छात्र बिना पर्याप्त शिक्षकों के पढ़ने को मजबूर हैं।
📐 कानून क्या कहता है?
निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम 2009 के मुताबिक:
- प्राथमिक विद्यालय: 30 छात्र पर 1 शिक्षक
- उच्च प्राथमिक विद्यालय: 35 छात्र पर 1 शिक्षक
लेकिन हकीकत में कई जगह 50–60 बच्चों पर एक ही शिक्षक पढ़ा रहा है, वो भी कई बार मल्टी-क्लास में! 😡
😠 शिक्षकों और बच्चों दोनों के साथ अन्याय
- शिक्षक बोझ तले दबे हुए हैं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना मुश्किल हो रहा है।
- बच्चों को व्यक्तिगत ध्यान और सही पठन-पाठन नहीं मिल पा रहा।
- खाली पदों पर भर्ती की प्रक्रिया सुस्त, जिससे हाल और खराब हो रहा है।
✊ “सरकारी कलम” की सीधी मांग
- खाली पदों पर तत्काल भर्ती — लाखों बेरोजगार शिक्षक तैयार बैठे हैं।
- छात्र-शिक्षक अनुपात का सख्ती से पालन — ताकि बच्चों का हक़ सुरक्षित हो।
- शिक्षक पर गैर-शैक्षणिक कार्यों का बोझ कम — ताकि वे सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दे सकें।
📢 अगर आज शिक्षक की कमी नहीं पूरी की गई, तो कल बच्चों के सपनों की कमी पूरी नहीं होगी!
