🇮🇳✈️ ट्रम्प के टैरिफ के बाद भारत ने बोइंग डील क्यों रद्द की?
🔍 शुरुआत कहां से हुई?

हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जब दोबारा सत्ता में आने के बाद भारत से आने वाले कुछ सामानों पर 25% से बढ़ाकर 50% तक टैरिफ (कर) लगा दिया, तो भारत सरकार ने नाराज़गी ज़ाहिर की।
भारत को इससे बड़ा आर्थिक नुकसान होने की आशंका है, क्योंकि अमेरिका भारत का एक बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है। इसी बीच, भारत ने अमेरिका की कंपनी Boeing से होने वाली बड़ी डिफेंस डील को रोकने (या रद्द करने) का फैसला ले लिया।
🧾 क्या थी बोइंग डील?
- भारत और अमेरिका की कंपनी Boeing के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें:
- P-8I निगरानी विमान (Indian Navy के लिए)
- Apache हेलीकॉप्टर (Air Force के लिए)
- और कुछ अन्य सुरक्षा उपकरणों की $3.6 अरब डॉलर (लगभग ₹30,000 करोड़) की डील थी।
यह डील भारत की समुद्री और हवाई निगरानी क्षमता को मजबूत करने वाली थी।
🚨 ट्रम्प ने टैरिफ क्यों बढ़ाया?
- अमेरिका को इस बात से ऐतराज है कि भारत अब भी रूस से तेल और हथियार खरीद रहा है।
- ट्रम्प ने कहा कि भारत “न्यायपूर्ण व्यापार नहीं कर रहा” और इसलिए अतिरिक्त 25% टैरिफ लगा दिए।
- यानी अब भारत से अमेरिका भेजे जाने वाले कई सामानों पर कुल 50% टैक्स लगने लगा है।
इससे भारत के लाखों छोटे उद्योगों और एक्सपोर्टर्स को बड़ा झटका लग सकता है।
🇮🇳 भारत ने क्या प्रतिक्रिया दी?
भारत सरकार ने तुरंत:
- अमेरिका की इस नीति को “अनुचित और एकतरफा” कहा।
- और इसके जवाब में बोइंग की डील को “फिलहाल स्थगित” करने का फैसला किया।
सरल शब्दों में कहें तो भारत ने ये दिखाया कि अगर अमेरिका भारत को झटका देगा, तो भारत भी पीछे नहीं हटेगा।
🔧 इसका असर किन-किन चीजों पर पड़ेगा?
क्षेत्र असर 🇮🇳 भारतीय रक्षा क्षमता थोड़ी देरी हो सकती है P-8I और Apache हेलीकॉप्टर के आने में 🛠️ भारतीय कंपनियां जो Boeing को सामान सप्लाई करती थीं (₹10,000 करोड़ सालाना), उन्हें नुकसान हो सकता है 🏭 एक्सपोर्ट उद्योग अमेरिका को सामान भेजना महंगा पड़ेगा, निर्यात कम हो सकता है 🌏 विदेश नीति भारत अब रूस, फ्रांस और इज़राइल जैसे देशों की ओर ज़्यादा झुकेगा
🤔 क्या यह सही फैसला है?
✔️ हां, क्योंकि:
- भारत आत्मनिर्भर रक्षा नीति को बढ़ावा देना चाहता है।
- विदेशी दबाव के आगे झुकना ठीक नहीं है।
- इससे अमेरिका को यह संदेश जाएगा कि भारत कोई कमजोर देश नहीं।
❌ लेकिन कुछ चिंताएं:
- तुरंत रक्षा उपकरण की जरूरत है।
- Boeing जैसे बड़े ब्रांड से दूरी बनाना तकनीकी नुकसान भी हो सकता है।
🧭 आगे क्या?
भारत अब:
- Make in India के तहत खुद के surveillance aircraft और drones बनाने पर ध्यान देगा।
- टाटा, DRDO, HAL जैसी कंपनियों को आगे बढ़ाएगा।
- फ्रांस (Dassault), रूस (Sukhoi), इज़राइल (Elbit Systems) से नई साझेदारियाँ करेगा।
📌 निष्कर्ष
ट्रम्प द्वारा टैरिफ बढ़ाना सिर्फ एक आर्थिक हमला नहीं था — वो एक राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश थी।
भारत ने इसका जवाब शांत लेकिन सख्त तरीके से दिया — अमेरिका की Boeing डील को रोककर।
इससे साफ है कि भारत अब हर मामले में आत्मनिर्भर और आत्मसम्मानी नीति पर चलना चाहता है।
बड़े देशों के दबाव से बाहर निकलना अब भारत की नई विदेश नीति का हिस्सा बनता जा रहा है।
✍️ आपकी राय?
क्या भारत का फैसला सही है?
क्या हमें अपने सुरक्षा उपकरणों के लिए विदेशी कंपनियों पर भरोसा करना चाहिए?
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