“शिक्षक नहीं, राष्ट्र निर्माता हैं – लेकिन शिक्षकों को केवल आश्वासन ही मिलते रहे हैं, समाधान नहीं” पढ़िए पूरा लेख


“शिक्षक नहीं, राष्ट्र निर्माता हैं – लेकिन समस्याएं बनी रहीं”

✍️ विशेष रिपोर्ट | अभियान: बहराइच बोले – शिक्षक बोले

शिक्षक केवल विद्यार्थियों के भविष्य को नहीं संवारते, बल्कि राष्ट्र की नींव मजबूत करते हैं। वे छात्रों को उनके सपनों तक पहुँचने में मार्गदर्शन देते हैं, उन्हें सही दिशा दिखाते हैं और एक बेहतर समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए शिक्षक को ‘राष्ट्र निर्माता’ कहा जाता है। लेकिन विडंबना यह है कि वर्षों से शिक्षकों को केवल आश्वासन ही मिलते रहे हैं, समाधान नहीं।

WhatsApp Channel Join Now
WhatsApp Group Join Now
Telegram Channel Join Now

📌 शिक्षकों की प्रमुख समस्याएं:

बहराइच ज़िले के बेसिक शिक्षक तमाम समस्याओं से जूझ रहे हैं। “हिन्दुस्तान” की विशेष मुहिम “बहराइच बोले” के अंतर्गत जब शिक्षकों से संवाद किया गया, तो उन्होंने अपनी समस्याओं की झड़ी लगा दी:

1. वेतनमान और सेवा संबंधी लंबित लाभ:

  • अवशेष वेतन,
  • चयन वेतनमान,
  • प्रोन्नत वेतनमान – इनका वर्षों से भुगतान नहीं हुआ है।
  • शिक्षकों की सर्विस बुक अधूरी पड़ी हैं, जिससे उन्हें भविष्य में भी दिक्कतें आएंगी।

2. शिक्षण के अतिरिक्त कार्य:

उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष विद्या विलास पाठक ने बताया कि शिक्षक की नियुक्ति केवल शिक्षण कार्य के लिए होती है, लेकिन उनसे भोजन, निर्माण, जलकल, विद्युत, नामांकन, चुनाव, सर्वे आदि के अनेकों गैर-शैक्षणिक कार्य कराए जा रहे हैं। इससे पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित होती है।

❝ हम पिछले 20 साल से यह मांग कर रहे हैं कि शिक्षक को सिर्फ शिक्षण कार्य ही करने दिया जाए। अगर यह मांग मान ली जाए तो शिक्षा व्यवस्था अपने आप सुधर जाएगी। ❞
— विद्या विलास पाठक, जिलाध्यक्ष

3. बुनियादी ढांचे की कमी:

  • ज़िले के कई विद्यालय जर्जर हो चुके हैं, जिनमें पढ़ाना असुरक्षित हो चुका है।
  • सफाईकर्मी और चौकीदार नहीं हैं, जिससे स्वच्छता और सुरक्षा दोनों पर असर है।
  • कक्षा व विषयवार शिक्षक नहीं हैं, जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रभावित हो रही है।
  • स्थायी प्रधानाध्यापक नहीं हैं।

4. तकनीकी और प्रशासनिक समस्याएं:

  • स्कूलों में ऑनलाइन कार्य के लिए क्लर्क की व्यवस्था होनी चाहिए।
  • अच्छे कार्य करने वाले शिक्षकों को अतिरिक्त इंक्रीमेंट मिलना चाहिए।
  • शिक्षकों को या तो विद्यालय में आवासीय सुविधा दी जाए या उनके घर से 8 किमी के भीतर नियुक्ति सुनिश्चित हो।

⚠️ सुरक्षा और संरचना से जुड़ी गंभीर चिंताएं:

  • कई विद्यालयों के ऊपर से हाईटेंशन लाइनें गुजर रही हैं। इससे बच्चों की जान खतरे में है।
  • चोरी की घटनाएं बढ़ रही हैं, लेकिन थानों में शिक्षकों की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जाता।
  • जिलाध्यक्ष ने मांग की है कि थाना स्तर पर विद्यालयों के लिए विशेष प्रकोष्ठ (special cell) बनाया जाए।

🎯 समाधान के सुझाव (जिलाध्यक्ष के अनुसार):

  1. विद्यालय नीति बनाते समय शिक्षक संगठनों को शामिल किया जाए।
  2. विद्यालयों के बगल या ऊपर से जाने वाली हाईटेंशन लाइनें हटाई जाएं।
  3. ग्राम प्रधान का विद्यालय संचालन में हस्तक्षेप रोका जाए।
  4. स्थायी सफाई कर्मचारी की नियुक्ति तक ग्राम सफाईकर्मी को स्कूल भेजा जाए।
  5. विद्यालयों की सुरक्षा के लिए चौकीदार नियुक्त किए जाएं।
  6. विद्यालयों में विद्युत आपूर्ति के लिए अलग लाइन सुनिश्चित की जाए।
  7. बच्चों की उपस्थिति से जोड़कर ही सरकारी लाभ दिए जाएं।
  8. पुरानी पेंशन योजना शिक्षकों को दी जाए।
  9. शिक्षकों की 10 साल से रुकी पदोन्नति तत्काल की जाए।
  10. जर्जर विद्यालयों को अभियान चलाकर तोड़ा जाए और नए भवन समयबद्ध बनाए जाएं।

🧠 नीति निर्माण में शिक्षकों की भागीदारी क्यों ज़रूरी है?

जिलाध्यक्ष का कहना है कि शिक्षा से जुड़ी अधिकांश नीतियाँ बंद कमरों में बैठे ऐसे अधिकारियों द्वारा बनाई जाती हैं, जिन्हें व्यवहारिक अनुभव नहीं होता। यही वजह है कि आज तक जो भी शैक्षिक प्रयोग हुए हैं, वे असफल रहे। जब तक नीति निर्माण में शिक्षक संगठनों की प्रत्यक्ष भागीदारी नहीं होगी, तब तक ज़मीनी सुधार संभव नहीं है।


✅ निष्कर्ष:

शिक्षक का कार्य सिर्फ पढ़ाना नहीं, राष्ट्र को आकार देना है। लेकिन जब राष्ट्र निर्माता खुद समस्याओं से घिरे हों, तो देश का भविष्य कैसा होगा? समय की मांग है कि शिक्षकों की बातें सिर्फ सुनी न जाएं, बल्कि नीति और व्यवस्था का हिस्सा बनाई जाएं।

🧭 “शिक्षण हमारा कर्म है, अधिकार है – इसे हमसे छीना नहीं जा सकता। और जब तक शिक्षकों को सम्मान और सुविधाएं नहीं मिलेंगी, शिक्षा व्यवस्था मजबूत नहीं हो सकती।”


✒️ लेखक: सरकारी कलम टीम | स्रोत: शिक्षक संवाद, बहराइच


Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top