✈ रेलवे स्टेशन भी बनेंगे एयरपोर्ट जैसे: अयोध्या, चारबाग और गोमतीनगर की सुरक्षा निजी हाथों में


✈ रेलवे स्टेशन भी बनेंगे एयरपोर्ट जैसे: अयोध्या, चारबाग और गोमतीनगर की सुरक्षा निजी हाथों में

🚉 अब रेलवे स्टेशन पर भी एयरपोर्ट जैसी सुरक्षा और सुविधाएं मिलने जा रही हैं। अयोध्या, चारबाग और गोमतीनगर रेलवे स्टेशन पर अब सुरक्षा व्यवस्था को निजी एजेंसियों के हाथों सौंपने की तैयारी हो चुकी है। ये बदलाव यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को लेकर एक बड़े सुधार के रूप में देखा जा रहा है।


🔐 एयरपोर्ट जैसी सुरक्षा, अब रेलवे स्टेशनों पर

रेलवे बोर्ड की नई नीति के तहत, अयोध्या, लखनऊ (चारबाग) और गोमतीनगर रेलवे स्टेशनों पर निजी सुरक्षा एजेंसियों की तैनाती की जा रही है।
हालांकि, RPF (रेलवे सुरक्षा बल) और GRP (राज्य पुलिस) भी अपनी भूमिका निभाते रहेंगे, लेकिन अब उनके साथ-साथ प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड भी नजर आएंगे।

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📍 अयोध्या से शुरू होगा निजी सुरक्षा मॉडल

रेलवे ने पहले चरण में अयोध्या स्टेशन पर निजी सुरक्षा एजेंसी की नियुक्ति के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की है।
इसके बाद चरणबद्ध रूप से चारबाग और गोमतीनगर स्टेशन पर भी यह व्यवस्था लागू की जाएगी।


🏗 स्टेशनों का मेगा अपग्रेडेशन प्रोजेक्ट

  • गोमतीनगर स्टेशन के अपग्रेडेशन पर अब तक ₹600 करोड़ खर्च हो चुके हैं।
  • चारबाग स्टेशन के पुनर्विकास पर करीब ₹500 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं।
  • इन परियोजनाओं का कार्यभार रेलवे भूमि विकास प्राधिकरण (RLDA) को सौंपा गया है।

🎟️ अब टिकटिंग और अन्य सेवाएं भी निजी हाथों में

रेलवे केवल ट्रेन संचालन और सेफ्टी का काम अपने पास रखेगा, जबकि स्टेशन परिसर की:

  • 🔹 टिकटिंग व्यवस्था
  • 🔹 सिक्योरिटी
  • 🔹 क्लीनिंग, पार्किंग, लॉजिस्टिक्स
    इन सभी सेवाओं को निजी कंपनियों के हाथों सौंपने की योजना बनाई जा रही है।

🧩 इसका असर आम यात्रियों पर क्या होगा?

✅ फायदे:

  • ✨ एयरपोर्ट जैसी व्यवस्था और साफ-सफाई
  • 🔍 चेकिंग और सिक्योरिटी ज्यादा मजबूत
  • 🚶 बेहतर भीड़ नियंत्रण और यात्री सुविधा

⚠️ संभावित चिंताएं:

  • 💰 टिकट या स्टेशन सेवा शुल्क में बढ़ोतरी संभव
  • 👮 प्राइवेट गार्ड्स की ट्रेनिंग और जवाबदेही पर सवाल
  • 👨‍⚖️ कर्मचारियों और यूनियनों का विरोध (संभावित)

📣 सरकारी और रेलवे कर्मचारियों के लिए संदेश

रेलवे कर्मचारियों और यूनियनों को इस बदलाव को लेकर सतर्क रहना होगा, क्योंकि धीरे-धीरे कई कार्य प्राइवेट कंपनियों को आउटसोर्स किए जा सकते हैं। इससे स्थायी सरकारी पदों में कटौती की भी आशंका बन सकती है।


✍️ निष्कर्ष:

रेलवे की यह नई पहल अगर ईमानदारी और पारदर्शिता से लागू होती है, तो यह भारतीय रेलवे को आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। लेकिन इसके साथ ही इसमें कर्मचारियों की सुरक्षा, जवाबदेही और सेवाओं की गुणवत्ता को सुनिश्चित करना बेहद जरूरी होगा।


📌 आपकी राय क्या है? क्या रेलवे स्टेशनों पर प्राइवेट सिक्योरिटी होनी चाहिए?
नीचे कमेंट में जरूर बताएं और हमारे साथ जुड़े रहिए www.sarkarikalam.com पर हर जरूरी सरकारी अपडेट के लिए।


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