विलय के बाद शिक्षकों की भूमिका यथावत: संदीप सिंह”


  – “विलय के बाद शिक्षकों की भूमिका यथावत: संदीप सिंह”

📍 लखनऊ।
बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री संदीप सिंह ने स्पष्ट किया है कि प्राथमिक विद्यालयों के विलय की प्रक्रिया के बाद भी शिक्षकों और रसोइयों की भूमिका में कोई कटौती नहीं की जाएगी। यह बयान उन्होंने लोकभवन स्थित मीडिया सेंटर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया।

📌 उन्होंने बताया कि जिस विद्यालय में 50 छात्र पंजीकृत हैं, वहां तीन शिक्षक अनिवार्य रूप से नियुक्त किए जाएंगे। इससे अधिक संख्या वाले स्कूलों में भी मानक के अनुसार शिक्षक नियुक्त होंगे।

👨‍🏫 अब तक की उपलब्धियाँ:

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  • प्रदेश में 1.26 लाख शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है।
  • ऑपरेशन कायाकल्प के तहत 96% विद्यालयों को बुनियादी सुविधाओं से लैस किया गया है।
  • 2.6 लाख टैबलेट्स, 31,000 स्मार्ट क्लास, और 14,000 ICT लैब्स स्थापित की गई हैं।

🏫 मुख्यमंत्री मॉडल कम्पोजिट विद्यालयों को भी विकसित किया जा रहा है, जहां प्री-प्राइमरी से लेकर कक्षा 12 तक की एकीकृत शिक्षा दी जाएगी।

🧍‍♀️ गांधी बालिका विद्यालय और कस्तूरबा स्कूलों में बालिकाओं को उच्च स्तरीय आवासीय सुविधाएं भी दी जा रही हैं।

📣 मंत्री ने यह भी कहा कि जिन विद्यालयों का विलय हुआ है, उन्हें स्मार्ट क्लास, अतिरिक्त कक्ष, टीएलएम, खेल सामग्री आदि से सुसज्जित किया जाएगा। बच्चों की विद्यालय तक पहुंच सुरक्षित और सुगम बनी रहेगी, इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है।


✍️ – “बदलाव के दौर में शिक्षकों की गरिमा बनी रहे!”

👩‍🏫 बेसिक शिक्षा में हो रहे परिवर्तन कई तरह की चर्चाओं और आशंकाओं को जन्म दे रहे हैं। विद्यालयों का विलय एक रणनीतिक कदम हो सकता है, लेकिन इससे जुड़े शिक्षक, रसोइया और ग्रामीण समुदाय की भावनाएं भी इससे जुड़ी हैं।

राज्यमंत्री संदीप सिंह का यह कहना कि “किसी पद को समाप्त नहीं किया जा रहा” — एक सकारात्मक सन्देश है, जो हजारों शिक्षकों की चिंता को कम करता है। यह निर्णय न केवल शिक्षकों की गरिमा की रक्षा करता है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में संतुलन भी बनाए रखता है।

📱 डिजिटल युग की ओर कदम:

  • लाखों टैबलेट्स और स्मार्ट क्लासेस से यह स्पष्ट है कि सरकार परिषदीय स्कूलों को मॉडर्न एजुकेशन हब बनाना चाहती है।
  • लेकिन सवाल यह है कि क्या इन संसाधनों का उपयोगात्मक प्रशिक्षण भी सभी शिक्षकों को मिल पा रहा है?

🏫 विद्यालयों का विलय और भावनात्मक जुड़ाव:
गाँवों में स्कूल सिर्फ शिक्षा का केंद्र नहीं होते, बल्कि सामाजिक रिश्तों की नींव होते हैं। स्कूलों का विलय करते समय सिर्फ भौगोलिक निकटता नहीं, बल्कि समुदाय की भावनाओं का भी ध्यान रखना ज़रूरी है।

🌱 निष्कर्ष:
शिक्षा का असली उद्देश्य तब पूरा होगा जब शिक्षक आत्मविश्वास के साथ, बच्चों के जीवन को संवारने का संकल्प लें — और सरकार उनका विश्वास बनाए रखे। बदलाव ज़रूरी है, लेकिन बदलाव सम्मान के साथ हो तो शिक्षा का भविष्य उज्जवल है।


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