सीतापुर स्कूल मर्जर पर हाईकोर्ट की रोक – शिक्षा विभाग को बड़ा झटका
✍️ www.sarkarikalam.com | 🗓️ 25 जुलाई 2025
📌 “शिक्षा के नाम पर जल्दबाजी नहीं चलेगी, अदालत ने दिए संतुलन के संकेत!”
उत्तर प्रदेश में चल रही स्कूल विलय प्रक्रिया को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने बड़ा आदेश दिया है। खासतौर पर सीतापुर जिले में किए जा रहे प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (विलय) पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। अदालत ने कहा है कि 21 अगस्त 2025 तक सीतापुर के स्कूलों में यथास्थिति बनी रहेगी।
⚖️ कोर्ट ने क्या कहा?
मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि यह आदेश केवल अंतरिम राहत है और यह सरकार की मर्जर नीति की वैधता पर कोई अंतिम टिप्पणी नहीं है। यानि फिलहाल बच्चों और अभिभावकों को थोड़ी राहत जरूर मिली है लेकिन लड़ाई अभी जारी है।
🧾 क्या थी याचिका?
सीतापुर जिले के 5 और 17 बच्चों की ओर से दाखिल दो विशेष अपीलों में, 7 जुलाई 2025 को हाईकोर्ट की एकल पीठ के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें स्कूलों के विलय को हरी झंडी दी गई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि विलय की प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं हुई हैं।
➡️ याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि बच्चों की संख्या के आधार पर प्राथमिक विद्यालयों को कंपोजिट या उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बिना जमीनी मूल्यांकन के मिला दिया गया, जिससे छात्र, शिक्षक और अभिभावक सभी प्रभावित हुए हैं।
📂 दस्तावेजों में गड़बड़ी, सरकार की चुप्पी
राज्य सरकार और बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से दाखिल दस्तावेजों में कई खामियां और अस्पष्टता पाई गई। इसके चलते कोर्ट ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा और जवाब देने के लिए समय दिया।
🔍 सुप्रीम कोर्ट ने क्यों किया इनकार?
दिल्ली से भी बड़ी खबर आई – सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। जस्टिस दीपंकर दत्ता की पीठ ने कहा कि चूंकि मामला पहले से ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित है, इसलिए याचिकाकर्ता को वहीं अपना पक्ष रखना चाहिए।
📊 शिक्षा की कीमत पर प्रशासनिक जल्दबाजी?
इस पूरे घटनाक्रम ने शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या बिना व्यापक मूल्यांकन के स्कूलों का विलय किया जाना सही है? क्या ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब छात्रों को मजबूर होकर निजी स्कूलों की ओर धकेला जा रहा है?
📅 आगे क्या होगा?
अब अगली सुनवाई 21 अगस्त 2025 को होगी, जिसमें राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल कर सफाई देनी है। याचिकाकर्ताओं को भी जवाब देने का समय दिया गया है।
📣 सरकारी कलम की राय
“शिक्षा बच्चों का अधिकार है, आंकड़ों का खेल नहीं।”
अगर विलय की प्रक्रिया बच्चों के हितों को नजरअंदाज कर रही है, तो सरकार को इस पर दोबारा सोचने की ज़रूरत है।
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✒️ लेखक: सरकारी कलम टीम
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