⚠️ विद्यालय जोड़ीकरण आदेश 2025-26: एक और आधा-अधूरा प्रयास? 🤔
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, कानपुर द्वारा 01 जुलाई 2025 को जारी आदेश पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।
जिन विद्यालयों में छात्रों की संख्या कम है, उन्हें पास के किसी अन्य विद्यालय से जबरन जोड़ा जा रहा है – जिसे
‘Pairing of School’ कहा गया है। लेकिन क्या यह निर्णय वास्तव में छात्रों के हित में है? 🤷♂️
पहले से ही संसाधनों की कमी झेल रहे विद्यालयों पर अब अतिरिक्त भार डालने का कार्य किया जा रहा है।
इस जोड़ीकरण में शैक्षिक गुणवत्ता या सुविधाओं की उपलब्धता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया है।
❌ बिना किसी गहन मूल्यांकन के लिया गया निर्णय
स्थानीय स्तर पर वास्तविक स्थितियों की जांच के बिना ही यह निर्णय लागू किया जा रहा है। कई स्कूल पहले से ही
शिक्षकों की कमी, भवन की जर्जर स्थिति और पर्याप्त संसाधनों के अभाव से जूझ रहे हैं। ऐसे में यह युग्म व्यवस्था
समस्या का समाधान नहीं बल्कि और अधिक जटिलताएं पैदा कर सकती है। 🚫
📉 विवादित जोड़ीकरण का उदाहरण
विकास खण्ड | युग्मित विद्यालय का नाम | यू-डाइस | कुल नामांकन | विद्यालय का नाम (जिससे जोड़ा गया) | यू-डाइस | कुल नामांकन |
---|---|---|---|---|---|---|
उरसला | प्रा० वि० इब्राहीम | 09300200123 | 58 | प्रा० वि० अगौली | 09300200103 | 150 |
एक कमज़ोर विद्यालय को पहले से ही भीड़भाड़ वाले विद्यालय से जोड़ना, क्या यह समस्या का हल है या एक नई समस्या की शुरुआत? 🤦♀️
⚠️ संभावित समस्याएं
- 🚸 छात्र-छात्राओं को दूरी की समस्या और असुविधा
- 👨🏫 शिक्षकों पर अतिरिक्त कार्यभार
- 🏫 मूलभूत सुविधाओं की कमी और बिगड़ता शैक्षणिक वातावरण
- 📊 बिना पारदर्शिता और भागीदारी के लिया गया निर्णय
🔍 क्या यही है समाधान?
शिक्षा व्यवस्था में सुधार आवश्यक है, लेकिन उसे स्थायी और शोधपूर्ण दृष्टिकोण से लागू करना चाहिए।
यह तात्कालिक निर्णय प्रबंधन की विफलता को दर्शाता है, जिसमें केवल आँकड़ों के आधार पर
निर्णय लिए जा रहे हैं, न कि जमीनी हकीकत को समझकर। 📉