📊 2011 की जनगणना के आधार पर तय होगा ग्राम पंचायतों का आरक्षण: ओमप्रकाश राजभर
🗞️ रिपोर्ट: अमर उजाला | 🏛️ स्थान: लखनऊ | 🗓️ अपडेटेड: जुलाई 2025
🗳️ पंचायत चुनावों में आरक्षण की नई व्यवस्था
पंचायतीराज मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने साफ किया कि आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में
ग्राम पंचायतों का आरक्षण 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर तय किया जाएगा।
हर वर्ग के आरक्षण में 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगी। इसके साथ ही रोटेशन प्रणाली का भी पालन किया जाएगा।
👥 सामाजिक न्याय का ध्यान
राजभर ने कहा कि सामाजिक न्याय को ध्यान में रखते हुए ही पिछली बार की तरह इस बार भी सीटों का आरक्षण तय किया जाएगा।
एससी, एसटी, ओबीसी और महिला वर्गों को उनके संवैधानिक अधिकार के तहत प्रतिनिधित्व मिलेगा।
उन्होंने बताया कि आरक्षण निर्धारण का कार्य विभागीय अधिकारियों की देखरेख में होगा और यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी रखी जाएगी।
🔄 रोटेशन प्रणाली लागू
पंचायतों में आरक्षण के तहत रोटेशन प्रणाली भी लागू की जाएगी ताकि सभी गांवों में बराबरी से अवसर मिल सके।
पिछली बार आरक्षित रही सीटें इस बार सामान्य हो सकती हैं और सामान्य रही सीटें आरक्षित हो सकती हैं।
💬 अखिलेश पर तंज – ब्राह्मणों से पूजा क्यों कराई?
पत्रकार वार्ता के दौरान अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए राजभर ने कहा कि जब समाजवादी पार्टी ने राम मंदिर को लेकर रुख साफ नहीं किया,
तो फिर ब्राह्मणों से पूजा क्यों कराई गई? उन्होंने यह भी दावा किया कि यदि भाजपा की सहयोगी सुभासपा को 2027 तक मजबूत समर्थन मिला,
तो अखिलेश की समाजवादी पार्टी का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
📋 पंचायत सहायकों और सफाई कर्मचारियों की आधार आधारित हाज़िरी
पंचायतों में पंचायत सहायकों और सफाई कर्मचारियों की उपस्थिति अब आधार कार्ड आधारित उपस्थिति प्रणाली से
सुनिश्चित की जाएगी। मंत्री ने बताया कि इससे पारदर्शिता आएगी और फर्जी हाज़िरी पर रोक लगेगी।
साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि नियुक्त कर्मी दैनिक रूप से पंचायत भवन में कार्यरत रहें और जनता को समय पर सेवाएं दें।
इस व्यवस्था को 57 ज़िलों में लागू किया जा चुका है और शेष में जल्द किया जाएगा।
🔚 निष्कर्ष
पंचायत चुनावों को पारदर्शी, न्यायसंगत और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत कदम मान सकते हैं।
मंत्री राजभर द्वारा दिए गए स्पष्ट दिशा-निर्देश पंचायत व्यवस्था को और अधिक उत्तरदायी बनाने का संकेत हैं।
अब देखना होगा कि ये कदम स्थानीय लोकतंत्र को कितनी मजबूती प्रदान करते हैं।