📚 छोटे जिले निकले टॉपर, बड़े जिले फेल! – आरटीई के तहत शिक्षा में नया ट्रेंड ✨
🗓️ अपडेट: शिक्षा सत्र 2025-26 | 🏛️ स्रोत: राज्य ब्यूरो, लखनऊ
🏆 शिक्षा का अधिकार देने में छोटे जिलों की बाज़ीगरी
उत्तर प्रदेश में गरीब बच्चों को शिक्षा का अधिकार (RTE) देने की दौड़ में इस बार छोटे जिलों ने बड़ा धमाका किया है।
श्रावस्ती ने 98.92% सीटों पर प्रवेश देकर प्रदेश भर में टॉप किया है। गोंडा, बस्ती, फिरोजाबाद, और
बलरामपुर ने भी टॉप 5 में जगह बनाई है।
📊 कौन जिला रहा कितने नंबर पर?
- 🥇 श्रावस्ती: 465 में से 460 बच्चों का प्रवेश – 98.92%
- 🥈 गोंडा: 2079 में से 1975 बच्चों का प्रवेश – 95%
- 🥉 बस्ती: 591 लक्ष्य में से 553 बच्चों का दाखिला – 93.57%
- 🏅 फिरोजाबाद: 4358 लक्ष्य में से 4060 दाखिले – 93.16%
- 🏅 बलरामपुर: 771 लक्ष्य में से 712 बच्चों का दाखिला – 92.35%
😮 ध्यान देने वाली बात: लखनऊ जैसे प्रमुख बड़े जिले इस सूची से बाहर हैं।
🧑🏫 छात्र-शिक्षक अनुपात के आधार पर होगा समायोजन
सरकार ने आरटीई के तहत शिक्षकों की नियुक्ति और समायोजन को छात्र-शिक्षक अनुपात के आधार पर जोड़ने का फैसला लिया है।
दो चरणों में यह प्रक्रिया लागू हो रही है:
- 📍 प्रथम चरण: 543 शिक्षकों को आकांक्षात्मक जिलों में भेजा गया
- 📍 द्वितीय चरण: 20,182 शिक्षकों को ऑनलाइन समायोजन का लाभ मिला
🏫 कम बच्चों वाले स्कूल होंगे पेयरिंग मॉडल से जुड़े
सरकार का मानना है कि कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को समीप के बड़े विद्यालयों से जोड़ा जाएगा
ताकि गुणवत्ता शिक्षा सुनिश्चित की जा सके। इससे जहां शिक्षक अधिक हैं और छात्र कम,
वहां से ट्रांसफर होकर शिक्षक जरूरतमंद विद्यालयों में पहुंचेंगे।
💡 निष्कर्ष: बदलाव की ओर बढ़ती शिक्षा व्यवस्था
छोटे जिलों की यह सकारात्मक पहल एक मिसाल बन सकती है।
आरटीई के लक्ष्य को पाने में छोटे जिले जहां बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं,
वहीं बड़े जिले सुधार की दिशा में सोचें, यही समय की मांग है।