📚 हर गांव के लिए स्कूल क्यों ज़रूरी है? समझिए खुली सोच से 🏡
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🧠 शिक्षा केवल अधिकार नहीं, आत्मनिर्भरता की पहली सीढ़ी
जगन्नाथ आज़ाद का शेर है: “इत्तिला ये थी कि मर गया है इश्क़ का दीवाना, लेकिन इस दावे पर प्रशासन बहुत सच्चाई से पढ़ना चाहता है।”
हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बच्ची की बात पर तुरंत संज्ञान लिया और उसका एडमिशन करवाया।
यह घटना यह बताती है कि जब एक बच्ची अपने पढ़ने के अधिकार के लिए आवाज़ उठाती है, तो व्यवस्था भी झुकती है।
📌 गांवों में स्कूल क्यों बंद हो रहे हैं?
कई गांवों में स्कूलों की संख्या घटाई जा रही है क्योंकि वहां के बच्चों की संख्या कम है।
लेकिन इसका सबसे ज़्यादा नुकसान गरीब और वंचित तबके के बच्चों को हो रहा है।
स्कूल बंद करना शिक्षा को बंद करने जैसा है।
स्कूल न होने का मतलब है – सपनों का रुक जाना।
⚖️ क्या सरकार ने कभी सर्वे किया?
हाई कोर्ट ने भी राज्य सरकार से सवाल किया कि क्या गांवों में स्कूल बंद करने से पहले कोई सर्वेक्षण किया गया था?
क्या किसी ने देखा कि बच्चों की पढ़ाई कैसे प्रभावित हो रही है?
सरकार को शिक्षा को ‘संख्या’ से नहीं, संवेदनशीलता से देखना होगा।
🏫 स्कूल सिर्फ पढ़ाई का नहीं, सामाजिक बदलाव का केंद्र
स्कूल केवल पढ़ाई का केंद्र नहीं होता, वह गांव में सामाजिक जागरूकता और आत्मविश्वास का केंद्र होता है।
जब बच्चे पास के स्कूल में जाते हैं, तो वे सपने देखना शुरू करते हैं, खुद को देश का हिस्सा महसूस करते हैं।
स्कूल दूर होंगे तो वे शिक्षा से कट जाएंगे।
🧾 नीति में सुधार की ज़रूरत
सरकार को ज़मीनी हकीकत को समझकर नीति बनानी होगी।
वहां स्कूल बंद करना जहां संख्या कम है, कोई हल नहीं है।
बल्कि वहां उत्तम शिक्षक और संसाधन भेजने की ज़रूरत है।
तभी गांवों से पलायन रुकेगा और बच्चों को बेहतर भविष्य मिलेगा।
📖 अंत में एक विचारशील पंक्ति…
📚 “किताबों से निकल कर तितलियों ग़ज़लें सुनाती हैं,
टिफिन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है।” 🌸