🧕 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (KGBV) से हटेंगे NGO: शिक्षा मंत्रालय का बड़ा फैसला

🧕 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (KGBV) से हटेंगे NGO: शिक्षा मंत्रालय का बड़ा फैसला
✍️ रिपोर्ट: सरकारी कलम विशेष संवाददाता | लखनऊ | जुलाई 2025


🔴 NGO का अब KGBV से बाहर का रास्ता तय!

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (KGBV) से जल्द ही गैर-सरकारी संगठनों (NGO) की भूमिका पूरी तरह समाप्त होने जा रही है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 27 राज्यों और 3 केंद्रशासित प्रदेशों को स्पष्ट निर्देश भेज दिए हैं कि KGBV स्कूलों में NGO की जगह सरकारी तंत्र को सक्रिय किया जाए।

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📌 यूपी में इसका सबसे ज्यादा असर पड़ेगा, क्योंकि यहां 746 KGBV संचालित हैं और दो दर्जन जिलों में अभी भी NGO सक्रिय हैं।


📢 क्यों हटाया जा रहा है NGO को?

  • लगातार मिल रही थीं शिकायतें
  • ठेकेदारी मॉडल में अनियमितता, भ्रष्टाचार के आरोप
  • शिक्षकों और स्टाफ के वेतन में विसंगति
  • राशन, हाउसकीपिंग, भर्ती आदि में अनियमितता

🗣️ अतुल बंसल (राष्ट्रीय अध्यक्ष, KGBV यूनियन):

“शिक्षा मंत्रालय ने पहली बार सभी राज्यों से स्टाफ का पूरा डाटा मांगा है, जिससे वेतन विसंगतियों की समीक्षा हो सके।”


📍 उत्तर प्रदेश का हाल:

  • 👉 लगभग 746 KGBV स्कूल
  • 👉 सीतापुर, सहारनपुर, बहराइच जैसे जिलों में अभी भी NGO सक्रिय
  • 👉 NGO के जिम्मे राशन, कुक, लेखाकार, चौकीदार, पार्टटाइम टीचर तक की नियुक्तियां

📉 अब तक का विरोध और बदलाव

  • कई जिलों में NGO पहले ही हटाए जा चुके हैं, लेकिन
  • करीब 2 दर्जन जिलों में अभी भी उनका नियंत्रण है
  • शिक्षक संगठन और अभिभावक दोनों लंबे समय से इसका विरोध कर रहे थे

📋 शिक्षा मंत्रालय ने मांगी ये जानकारी:

  1. ✅ सभी कर्मचारियों की सूची
  2. ✅ उनकी नियुक्ति प्रक्रिया
  3. ✅ वेतन संरचना
  4. ✅ योग्यता और अनुभव
  5. ✅ NGO की भूमिका और उनके द्वारा नियुक्त कर्मियों की जानकारी

🔄 अब क्या होगा?

  • ✒️ राज्य सरकारें रिपोर्ट भेजेंगी
  • 🗂️ KGBV को पूर्णत: सरकारी नियंत्रण में लाने की प्रक्रिया शुरू होगी
  • 📢 NGO को पूरी तरह बाहर किया जाएगा
  • 👩‍🏫 वार्डन, टीचर, कुक, चपरासी आदि की सरकारी भर्ती की संभावना बढ़ेगी

📣 सरकारी कलम की टिप्पणी:

“शिक्षा को ठेकेदारी के हवाले करने का खेल अब थमना चाहिए।
कस्तूरबा स्कूल जैसे संस्थानों को बचाने के लिए सरकार को
पारदर्शी और स्थायी व्यवस्था लागू करनी चाहिए।
ये बेटियों का स्कूल है — इसे मुनाफे की मंडी नहीं बनने देना चाहिए।”


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