🛑 विद्यालय विलय के फैसले के खिलाफ मछरेहटा में ज़बरदस्त विरोध

🛑 विद्यालय विलय के फैसले के खिलाफ मछरेहटा में ज़बरदस्त विरोध!
🎓 छोटे बच्चों को दूर भेजने के फैसले पर अभिभावकों का गुस्सा फूटा, “गांव हमारा – स्कूल हमारा” गूंजा गांव-गांव


📍 मामला कहां का है?

➡️ ब्लॉक – मछरेहटा, जिला – सीतापुर
➡️ ग्राम पंचायत – मिर्जापुर दक्षिणी


🔥 क्या है मामला?

सरकार की ओर से जारी आदेश के बाद मछरेहटा क्षेत्र के 14 प्राथमिक विद्यालयों का विलय कर उन्हें अन्य बड़े विद्यालयों में मिलाया जा रहा है। इस फैसले के विरोध में अब ग्राम प्रधान, अभिभावक, शिक्षक और छात्र सड़क पर उतर आए हैं।


👥 ग्रामीणों ने उठाई आवाज़

  • शनिवार को प्राथमिक विद्यालय मिर्जापुर दक्षिणी में अभिभावकों, बच्चों और ग्रामीणों ने विद्यालय परिसर में विरोध प्रदर्शन किया।
  • लोगों ने नारा दिया –
    👉 “गांव हमारा, स्कूल हमारा – बच्चे हमारे यहीं पढ़ेंगे”

🧒 बच्चों को सबसे ज़्यादा परेशानी

➡️ विरोध का मुख्य कारण यह है कि जिन विद्यालयों में विलय किया जा रहा है, वे गांव से 2 किलोमीटर दूर हैं।
➡️ भीषण गर्मी में छोटे बच्चों का इतनी दूर पैदल जाना कठिन है।

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📣 प्रमुख वक्ताओं की बातें

  • प्रधान राममनोहर – “छोटे बच्चे इतनी दूर कैसे जाएंगे? स्कूल बंद होने से गांव के बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।”
  • अभिभावक संदीप, सुनीता, रमाकांत – “सरकार का यह कदम गरीब ग्रामीण बच्चों के साथ अन्याय है।”

🏢 प्रशासन की सफाई

खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) अजय गुप्त मौर्य ने बताया –
➡️ “जिन स्कूलों में छात्र संख्या 50 से कम थी, उन्हें शासन की मंशा के अनुसार दूसरे विद्यालयों में समायोजित किया गया है।”


📌 शिक्षामित्रों को भी राहत की उम्मीद

👉 शिक्षकों के स्थानांतरण के बाद अब शिक्षामित्रों का भी नंबर आने वाला है।

  • मानव संपदा पोर्टल पर शिक्षामित्रों का डाटा अपडेट किया जाएगा।
  • ट्रांसफर या समायोजन के लिए नियुक्ति तिथि, वर्तमान तैनाती, अनुशासनात्मक स्थिति आदि जानकारियां मांगी गई हैं।
  • सभी BEO को एक सप्ताह के भीतर डाटा अपडेट करने के निर्देश दिए गए हैं।

🔸 BSA अखिलेश प्रताप सिंह बोले – “डाटा सत्यापित कर अपलोड करें, ताकि अगली प्रक्रिया में कोई दिक्कत न हो।”


✍️ सरकारी कलम की टिप्पणी:

सरकार शिक्षा को बच्चों की दहलीज़ तक पहुंचाने का दावा करती है, लेकिन विद्यालयों के दूर विलय से उस दहलीज़ को दो किलोमीटर पीछे धकेला जा रहा है।
🔹 यह केवल स्कूलों का विलय नहीं, ग्रामीण शिक्षा के अवसरों का संकुचन है।
🔹 शासन को चाहिए कि विद्यालय विलय के साथ-साथ ट्रांसपोर्ट या स्कूल ऑन व्हील्स जैसी वैकल्पिक व्यवस्था भी सुनिश्चित करे।


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