📰 परिषदीय स्कूल 1 जुलाई से फिर होंगे गुलजार, नव प्रवेशित बच्चों का होगा भव्य स्वागत, स्कूल चलो अभियान का दूसरा चरण भी शुरू
✍️ रिपोर्ट: सरकारी कलम टीम | अपडेट: 24 जून 2025
📌 मुख्य बिंदु:
- 🏫 1 जुलाई से फिर खुलेंगे परिषदीय विद्यालय
- 🙏 नव प्रवेशित छात्र-छात्राओं का तिलक व रोली से भव्य स्वागत
- 🎉 रंगोली, सजावट और मिठाई से उत्सव जैसा माहौल
- 🍲 मिड-डे मील में विशेष भोज: हलवा व खीर
- 🧹 स्कूल खुलने से पहले रंगाई-पुताई और साफ-सफाई अनिवार्य
- 📚 1 से 15 जुलाई: स्कूल चलो अभियान का दूसरा चरण
🌟 बच्चों के स्वागत में कोई कसर नहीं
गर्मी की छुट्टियों के बाद स्कूलों की शुरुआत को यादगार और प्रेरणादायक बनाने के लिए स्कूल शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने सभी बीएसए को निर्देश दिए हैं कि:
🔸 विद्यालय को उत्सव की तरह सजाया जाए
🔸 रंगोली, फूल, गुब्बारों से सजावट की जाए
🔸 बच्चों का स्वागत तिलक, रोली और मिठाई से हो
🔸 ड्रॉपआउट बच्चों की पहचान कर अभिभावकों से संपर्क किया जाए
🔸 अभिभावकों को प्रेरित कर बच्चों को स्कूल भेजने का आह्वान किया जाए
🗓️ स्कूल चलो अभियान – दूसरा चरण
➡️ 1 से 15 जुलाई तक चलेगा
➡️ उद्देश्य: ड्रॉपआउट, गैर-नामांकित बच्चों को फिर से स्कूल जोड़ना
➡️ ग्राम सभाओं और मोहल्लों में जागरूकता अभियान
➡️ प्रधानों, ग्राम सचिवों, शिक्षकों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सहभागिता जरूरी
🚨 स्कूल विलय के विरोध में 27 जून को शिक्षक प्रदर्शन पर
🔴 सरकार द्वारा कम छात्र संख्या वाले स्कूलों के विलय की घोषणा के बाद शिक्षकों में रोष फैल गया है।
🗣️ उप्र पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ ने इसका विरोध करते हुए 27 जून को जिले के सभी बीआरसी पर धरना-प्रदर्शन की घोषणा की है।
📜 शिक्षकों का कहना है:
“सरकार गरीब बच्चों के भविष्य से खेल रही है। छोटे बच्चों के लिए दो से तीन किलोमीटर दूर पैदल जाकर पढ़ाई करना असंभव है।”
📨 धरने के बाद बीईओ के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा जाएगा।
📣 सरकारी कलम का निष्कर्ष:
1 जुलाई को परिषदीय विद्यालयों में बच्चों का स्वागत उत्सव की तरह होगा, लेकिन उसी दिन से स्कूल विलय की नीति को लेकर संघर्ष भी तेज होगा। एक तरफ शिक्षा को उत्सव बनाने की कोशिश, दूसरी तरफ स्कूल बंद होने का डर। इस विरोधाभास में शिक्षक और अभिभावक दोनों की भूमिका अहम होगी।
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