इस्राइल-ईरान संघर्ष में अमेरिका की एंट्री, ट्रंप का ऐलान – “ईरान को आत्मसमर्पण करना होगा”
📝 सरकारी कलम डेस्क | 16 जून 2025
पश्चिम एशिया में युद्ध का नया अध्याय📜
इस्राइल और ईरान के बीच जारी तनाव अब वैश्विक संकट का रूप लेता जा रहा है। दोनों देशों के बीच पांचवें दिन भी जबरदस्त मिसाइल हमले जारी रहे। इसी बीच, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा बयान देकर स्पष्ट कर दिया कि अब अमेरिका भी इस संघर्ष में सीधे तौर पर शामिल हो गया है।
ट्रंप बोले – “हमें खामनेई की लोकेशन मालूम है”🚨
कनाडा में चल रही जी-7 बैठक को बीच में छोड़कर वाशिंगटन लौटे ट्रंप ने कहा,
“ईरान के सुप्रीम लीडर कहां छिपे हैं, हमें मालूम है। वह आसान निशाना हैं, लेकिन हम उन्हें अभी नहीं मारेंगे। ईरान को बिना शर्त आत्मसमर्पण करना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका ईरान के आसमान पर पूरी तरह से काबिज हो चुका है। ईरान के पास हथियार हैं, लेकिन अमेरिकी हथियारों से उनकी कोई तुलना नहीं।
अमेरिकी सेना ने बढ़ाई तैयारी, पश्चिम एशिया में तैनात किए लड़ाकू विमान✈️
- अमेरिकी सेना ने एफ-16, एफ-22 और एफ-35 जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान क्षेत्र में तैनात किए हैं।✈️
- यह कदम रक्षात्मक उपाय के रूप में उठाया गया है ताकि अमेरिकी सैन्य ठिकानों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
- अमेरिका का कहना है कि क्षेत्र में मिसाइल और ड्रोन हमलों को जवाब देने के लिए यह तैनाती आवश्यक है।
ईरान ने इस्राइल के मोसाद मुख्यालय पर किया हमला⚠️
दूसरी ओर, ईरान ने इस्राइल के खुफिया एजेंसी मोसाद और सैन्य खुफिया इकाई अमान के मुख्यालय को निशाना बनाया।
- ईरान के दावे के अनुसार, हमला तेल अवीव के ग्लीलोट क्षेत्र में हुआ, जहां अमान का लॉजिस्टिक सेंटर स्थित है।
- ईरान का दावा है कि उसने इस हमले में इस्त्राइली साइबर यूनिट 8200 को भी नुकसान पहुंचाया है।
इस्त्राइल का जवाबी हमला – ईरानी सेना प्रमुख की मौत का दावा👮
इस्त्राइल ने दावा किया है कि उसने ईरान के नए सेना प्रमुख जनरल अल शादनामी को मार गिराया है।
- हालांकि ईरान की ओर से इस दावे की पुष्टि नहीं हुई है।
- ईरान में आम लोगों और विदेशी नागरिकों का बड़े पैमाने पर पलायन जारी है।
भारत पर असर – तेल महंगा, कूटनीतिक चुनौती बढ़ी😥
- इस टकराव का सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।
- कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल की आशंका है।
- भारत को इस स्थिति में दोनों देशों के साथ संतुलित कूटनीति अपनानी होगी क्योंकि इजराइल से रक्षा सहयोग और ईरान से पारंपरिक व्यापारिक रिश्ते हैं।
G-7 देशों का समर्थन✅
G-7 नेताओं ने एक साझा बयान में इस्राइल के आत्मरक्षा के अधिकार को समर्थन दिया है। उन्होंने ईरान को क्षेत्र की अस्थिरता का जिम्मेदार बताया है।
🔴 निष्कर्ष:
ईरान और इस्राइल के बीच युद्ध अब केवल दो देशों की लड़ाई नहीं रह गया है। अमेरिका की सक्रियता इस संघर्ष को तीसरे मोर्चे तक ले जा रही है। विश्व समुदाय की नज़र अब मध्य पूर्व पर है और भारत समेत सभी देशों को सतर्क कूटनीति अपनाने की ज़रूरत है।
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