गर्भवती महिला कर्मचारी को नौकरी से निकालना गैरकानूनी: जानिए आपके अधिकार
भोपाल। भारत में कार्यरत गर्भवती महिला कर्मचारियों को विशेष सुरक्षा प्रदान की गई है, ताकि वे मातृत्व के दौरान कार्यस्थल पर किसी भेदभाव या अन्याय का शिकार न हों। मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के तहत गर्भवती महिला को नौकरी से निकालना पूरी तरह गैरकानूनी है।
🔹 क्या कहता है मातृत्व लाभ अधिनियम?
- अधिनियम के अनुसार, प्रत्येक महिला कर्मचारी को पहले दो बच्चों के लिए 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश अनिवार्य रूप से दिया जाना चाहिए।
- किसी भी महिला को गर्भावस्था के दौरान नौकरी से निकालना प्रतिबंधित है।
🔹 अगर महिला कर्मचारी को निकाल दिया जाए तो क्या करें?
- 60 दिनों के भीतर शिकायत करें:
महिला कर्मचारी मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के तहत नामित निरीक्षक (Nominated Inspector) के पास शिकायत दर्ज कर सकती है। - लेबर कोर्ट में जाएं:
अगर निरीक्षक के फैसले से असंतुष्ट हैं, तो 1 साल के भीतर लेबर कोर्ट में केस दाखिल किया जा सकता है। - UMANG ऐप या समाधान पोर्टल का सहारा लें:
सरकारी समाधान पोर्टल या UMANG ऐप पर लॉगिन कर शिकायत ऑनलाइन दर्ज की जा सकती है। - महिला आयोग से संपर्क करें:
जरूरत पड़ने पर राज्य महिला आयोग या राष्ट्रीय महिला आयोग से भी मदद ली जा सकती है।
🔹 महत्वपूर्ण सलाह:
“जब आप अपने हक से परिचित होंगे, तभी आप कानून के दायरे में रहकर हर गलत व्यवहार का विरोध कर पाएंगे।”
— योगेश सोनी, लीगल एक्सपर्ट
📌 निष्कर्ष:
गर्भावस्था के दौरान महिला कर्मचारी को नौकरी से निकालना न केवल अनैतिक, बल्कि कानूनी अपराध भी है। यदि आप ऐसी स्थिति का सामना कर रही हैं, तो चुप न रहें, अपने कानूनी अधिकारों का प्रयोग करें और उचित मंच पर शिकायत जरूर करें।
✅ Sarkari Kalam आपके अधिकारों की रक्षा में हमेशा आपके साथ है।