केकेसी पीजी कॉलेज के प्राचार्य पर ₹25,000 जुर्माना, विभागीय कार्रवाई के आदेश

केकेसी पीजी कॉलेज के प्राचार्य पर ₹25,000 जुर्माना, विभागीय कार्रवाई के आदेश

स्थान: लखनऊ |

लखनऊ के केकेसी पीजी कॉलेज के प्राचार्य विनीत चंद्र को सूचना आयोग ने ₹25,000 का जुर्माना और विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया है। यह कार्रवाई दो शिक्षकों के निलंबन की जानकारी देने में विफल रहने के कारण की गई है।

प्रकरण में बताया गया है कि कुछ दिन पूर्व कॉलेज में मास्टरों के बीच मारपीट हुई थी। जांच के दौरान दो पक्षों की ओर से भिन्न-भिन्न बयान दिए गए, जिससे विवाद और भी बढ़ गया। मामले में एक शिक्षक का तबादला और दूसरे को निलंबित कर दिया गया था।

क्या था विवाद?

शिक्षक डॉ. संजय कुमार सिंह और डॉ. वल्लभ कुमार वारी के बीच कहासुनी और मारपीट हुई थी। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद कॉलेज प्रबंधन ने तत्कालीन जांच अधिकारी प्रो. विनोद चंद्र को नियुक्त किया। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि दोनों शिक्षकों के बीच मारपीट हुई थी।

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सूचना आयोग ने प्राचार्य की जवाबदेही तय करते हुए उन्हें कई बार नोटिस भेजा लेकिन जवाब नहीं मिला। परिणामस्वरूप ₹25,000 का जुर्माना और विभागीय कार्रवाई का आदेश पारित किया गया।

जवाब में प्राचार्य की चुप्पी बनी बड़ी वजह

प्राचार्य प्रो. विनीत चंद्र को सूचना अधिकारी के कई नोटिसों का जवाब नहीं देने और जानकारी देने से बचने पर यह कठोर कदम उठाया गया। आयोग ने कहा कि यह शिक्षकों के करियर से जुड़ा मामला है, जिससे पारदर्शिता अनिवार्य है।

डॉ. संजय कुमार सिंह का बयान है कि उन्होंने समय पर सभी जानकारी मांगी थी लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला।

एनएसयूआई की जांच में खुलासा – वॉटर कूलर का टीडीएस स्तर खतरनाक

लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में एनएसयूआई द्वारा की गई जांच में सामने आया कि कई वॉटर कूलरों में टीडीएस स्तर बहुत ही निम्न पाया गया, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

एक कार्यकर्ता श्री त्रिपाठी ने बताया कि छात्रों की शिकायत पर यह जांच की गई थी, और बताया गया कि टीडीएस 1000 से अधिक पाया गया। संस्था ने प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।

  • छात्रों के लिए पीने के पानी की गुणवत्ता सुधारने की मांग
  • प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल
  • जल्द सुधार की चेतावनी

जांच के दौरान अमन, अंकुश, सजीत, देवेश, दीपेंद्र, सुदीप जैसे कई छात्र भी उपस्थित थे।

निष्कर्ष: एक ओर जहां शिक्षा संस्थानों से पारदर्शिता और जवाबदेही की अपेक्षा होती है, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधाओं पर भी सजगता आवश्यक है। केकेसी कॉलेज और विश्वविद्यालय प्रशासन को अब इन समस्याओं का शीघ्र समाधान करना होगा।

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