मातृत्व अवकाश: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि यदि कोई महिला तीसरे बच्चे को जन्म देती है तो भी सरकार उसे मातृत्व अवकाश देने से इनकार नहीं कर सकती।
यह था मामला
एक महिला शिक्षक, जो पहले दो बच्चों के पिता से तलाक ले चुकी थीं, ने दूसरी शादी के बाद तीसरे बच्चे को जन्म दिया।
सरकारी स्कूल में नियुक्ति मिलने के बाद जब उन्होंने मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया तो इंकार कर दिया गया।
इसके खिलाफ महिला ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जहां उनके पक्ष में फैसला आया।
कोर्ट का निर्णय और कानूनी आधार
जस्टिस अभय एस. ओका और उज्ज्वल भुयां की पीठ ने अपने फैसले में मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 5 का हवाला दिया, जिसमें बच्चों की संख्या पर कोई सीमा नहीं लगाई गई है।
अदालत ने कहा कि मातृत्व अवकाश संवैधानिक अधिकार है और महिलाओं को सम्मानपूर्वक कार्यस्थल पर अधिकार मिलना चाहिए।
महिलाओं के लिए बड़ी राहत
यह फैसला उन सभी महिलाओं के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जिन्हें तीसरे बच्चे के जन्म पर मातृत्व अवकाश नहीं दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि कोई भी सरकार या संस्था इस अधिकार से इंकार नहीं कर सकती।