कोविड के प्रभाव से भारत में औसत जीवन प्रत्याशा में गिरावट! 📉🩺


कोविड के प्रभाव से भारत में औसत जीवन प्रत्याशा में गिरावट! 📉🩺

भारत सरकार ने हाल ही में 2021 का नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) डेटा जारी किया है, जो तीन साल बाद सामने आया है। इस रिपोर्ट में जीवन प्रत्याशा में कमी के साथ-साथ दिल की बीमारियों में वृद्धि और स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ती प्राथमिकता का भी खुलासा हुआ है।

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जीवन प्रत्याशा में गिरावट का आंकड़ा 📊

  • 2016-2020 के औसत जीवन प्रत्याशा: 70 वर्ष
  • 2017-2021 के औसत जीवन प्रत्याशा: 69.8 वर्ष
  • पुरुषों की जीवन प्रत्याशा घटकर 68.2 वर्ष हो गई (68.6 वर्ष से)
  • महिलाओं की जीवन प्रत्याशा बढ़कर 71.6 वर्ष हो गई (71.4 वर्ष से)

यह पांच दशकों में पहली बार है जब जन्म के समय औसत जीवन प्रत्याशा में गिरावट दर्ज हुई है।


भारत अभी भी कई देशों से पीछे है 🌏

  • चीन की जीवन प्रत्याशा: 78 वर्ष
  • मलेशिया: 77 वर्ष
  • ब्राजील और थाईलैंड: 76 वर्ष

स्वस्थ जन्म अंतराल में सुधार 👶⏳

  • 2021 में 52.4% बच्चों का जन्म उनके पिछले भाई-बहन से तीन या उससे अधिक वर्षों के अंतराल पर हुआ।
  • यह आंकड़ा 2016 में 51.9% और 2011 में 42% था।
  • मध्य प्रदेश में सबसे कम – केवल 35.3% बच्चे तीन साल या उससे अधिक अंतराल पर जन्मे।
  • बिहार इस मामले में दूसरे नंबर पर है (44.8%)।

स्वस्थ मातृत्व की ओर सकारात्मक संकेत 💉🏥

  • लोग अब अधिकतर प्रशिक्षित डॉक्टरों से ही बच्चे का जन्म कराने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
  • दिल की बीमारियों में वृद्धि पर सतर्कता जरूरी।

यह रिपोर्ट कोविड महामारी के प्रभावों को दिखाती है और भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए कदम उठाने की जरूरत पर जोर देती है।


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