कलकत्ता हाईकोर्ट का अहम फैसला: नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में पॉक्सो एक्ट की व्याख्या ⚖️👧
मुख्य बिंदु:
- कलकत्ता हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि नाबालिग के स्तनों को छूने की कोशिश दुष्कर्म के प्रयास (Attempt to Rape) नहीं, बल्कि गंभीर यौन उत्पीड़न (Aggravated Sexual Assault) की श्रेणी में आता है।
- ट्रायल कोर्ट के 12 साल की सजा और 50,000 रुपये जुर्माने के आदेश को निलंबित किया गया।
- हाईकोर्ट ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट से दुष्कर्म या उसके प्रयास का सबूत नहीं मिलता।
- यदि अंतिम सुनवाई में आरोप गंभीर यौन उत्पीड़न साबित होता है, तो सजा 5-7 साल तक कम हो सकती है (वर्तमान में आरोपी 28 महीने जेल में रह चुका है)।
पॉक्सो एक्ट पर महत्वपूर्ण व्याख्या:
- धारा 10 (गंभीर यौन उत्पीड़न) vs धारा 18 (दुष्कर्म का प्रयास)
- हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि पीड़िता का बयान और साक्ष्य केवल गंभीर यौन उत्पीड़न को साबित करते हैं, न कि दुष्कर्म के प्रयास को।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के पिछले फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया:
- सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी एक समान फैसले पर रोक लगाई थी।
- शीर्ष अदालत ने न्यायाधीशों को संवेदनशील मामलों में अनावश्यक टिप्पणियों से बचने की हिदायत दी थी।
अन्य महत्वपूर्ण समाचार:
राहुल गांधी को पुणे कोर्ट ने तलब किया
- सावरकर पर टिप्पणी को लेकर मानहानि का मामला।
- 9 मई को पेश होने का आदेश।
- मामला लंदन में दिए गए बयान पर आधारित, जिसमें सावरकर और उनके साथियों पर सामूहिक हिंसा का आरोप लगाया गया था।
निष्कर्ष:
यह फैसला पॉक्सो एक्ट की धाराओं की व्याख्या को लेकर महत्वपूर्ण है। हालांकि, बाल यौन शोषण के मामलों में सजा की गंभीरता बरकरार रखने की आवश्यकता पर भी बहस जारी है।
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