उत्तर प्रदेश में बालिका शिक्षा का नया युग: हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में बेटियों का दबदबा


उत्तर प्रदेश में बालिका शिक्षा का नया युग: हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में बेटियों का दबदबा

प्रयागराज, 27 अप्रैल 2025:
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (UP Board) के हालिया आंकड़े सूबे में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव की कहानी बयां कर रहे हैं। खासतौर से बालिका शिक्षा में पिछले चार दशकों में जबरदस्त उछाल देखा गया है। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में बेटियों की भागीदारी में ऐतिहासिक वृद्धि दर्ज हुई है, जो न सिर्फ शिक्षा के प्रति जागरूकता को दर्शाता है, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की भी मिसाल है।

हाईस्कूल में बेटियों की भागीदारी छह गुना बढ़ी

1986 में हाईस्कूल परीक्षा में जहां सिर्फ 17% छात्राएं थीं, वहीं 2025 तक यह आंकड़ा 47% तक पहुँच गया। 1986 में हाईस्कूल में पंजीकृत छात्राओं की संख्या मात्र 2.27 लाख थी, जो अब बढ़कर 13.61 लाख से भी अधिक हो गई है। यह छह गुना वृद्धि बेटियों के शैक्षिक सशक्तिकरण का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

इंटरमीडिएट में भी बेटियों की धमक

इंटरमीडिएट में भी स्थिति लगभग समान रही। 1986 में मात्र 19% छात्राएं परीक्षा में शामिल हुई थीं, जबकि 2025 में यह आंकड़ा 46% तक पहुँच चुका है। चार दशकों में इंटरमीडिएट में पंजीकृत छात्राओं की संख्या 1.17 लाख से बढ़कर 10.91 लाख हो गई है — यानी नौ गुना की अभूतपूर्व वृद्धि।

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मेधावियों की सूची में बेटियों का दबदबा

सिर्फ भागीदारी ही नहीं, सफलता के मामले में भी बेटियों ने बाजी मारी है। 2025 में बोर्ड परीक्षा की मेधावियों की सूची में 85 में से 67 नाम बेटियों के रहे। पिछले दस वर्षों के आंकड़े देखें तो लगातार बेटियों ने टॉप पोजीशन हासिल की है। 2016 और 2017 में हाईस्कूल और इंटर दोनों में बेटियां टॉपर रहीं।

2025 में हाईस्कूल में छात्रों की तुलना में 7.21% अधिक छात्राएं पास हुईं, वहीं इंटरमीडिएट में 9.77% अधिक बालिकाएं सफल रहीं। यह स्पष्ट संकेत है कि बालिकाएं शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं।

ग्रामीण इलाकों की बेटियां भी चमक रहीं

बोर्ड परीक्षा के परिणामों में एक और सकारात्मक बदलाव यह रहा कि अब ग्रामीण इलाकों के विद्यालयों से भी छात्राएं मेरिट लिस्ट में स्थान बना रही हैं और प्रदेश में टॉप कर रही हैं। इस वर्ष इंटरमीडिएट की टॉपर महक जायसवाल भी ग्रामीण क्षेत्र की छात्रा हैं, जिसने यह साबित कर दिया कि प्रतिभा किसी सीमा की मोहताज नहीं होती।


निष्कर्ष:

पिछले चार दशकों में यूपी बोर्ड के आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि बालिका शिक्षा को लेकर समाज में दृष्टिकोण में व्यापक परिवर्तन आया है। बेटियां अब न केवल शिक्षा में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं, बल्कि सफलता की नई ऊंचाइयों को भी छू रही हैं। यह बदलाव सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के भविष्य को भी एक नई दिशा देने वाला साबित हो रहा है।


शेयर करें और प्रेरणा दें — क्योंकि जब बेटियाँ पढ़ती हैं, तो समाज बढ़ता है।

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