इसरो के पूर्व प्रमुख डॉ. कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन का 25 अप्रैल 2025 को निधन

डॉ. कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन का निधन

भारत के प्रतिष्ठित अंतरिक्ष वैज्ञानिक और इसरो के पूर्व प्रमुख डॉ. कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन का 25 अप्रैल 2025 को निधन हो गया। वे 84 वर्ष के थे और पिछले कुछ महीनों से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। श्रीलंका में 2023 में दिल का दौरा पड़ने के बाद से वे अस्वस्थ थे और सार्वजनिक जीवन में उनकी उपस्थिति कम हो गई थी। उनका पार्थिव शरीर 27 अप्रैल को रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) में अंतिम श्रद्धांजलि के लिए रखा जाएगा।


प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

कस्तूरीरंगन का जन्म 24 अक्टूबर 1940 को केरल के एर्नाकुलम जिले में हुआ था। उनका परिवार बाद में तमिलनाडु के त्रिशूर जिले के चालाकूडी में बस गया था। उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक और परास्नातक की डिग्री प्राप्त की, और 1971 में अहमदाबाद के भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला में उच्च ऊर्जा खगोल विज्ञान पर पीएचडी की।

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इसरो में योगदान

डॉ. कस्तूरीरंगन का इसरो में अहम योगदान रहा। उन्होंने भारत के पहले दो प्रायोगिक पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों के प्रक्षेपण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे भारत के प्रमुख ध्रुवीय उपवह प्रक्षेपण यान के सफल प्रक्षेपण के लिए जिम्मेदार थे और उन्होंने उच्च ऊर्जा खगोल विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अनुसंधान किए। उनके नेतृत्व में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने वैश्विक पहचान प्राप्त की।


कृतियाँ और पुरस्कार

कस्तूरीरंगन को उनके अपूर्व योगदान के लिए पद्म श्री (1982), पद्म भूषण (1992), और पद्म विभूषण (2000) जैसे तीन प्रमुख नागरिक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्होंने इसरो के अध्यक्ष, अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और भारत सरकार के सचिव के रूप में नौ साल से अधिक समय तक सेवा की।


शिक्षा क्षेत्र में योगदान

कस्तूरीरंगन ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के मसौदे की समिति की अध्यक्षता की। उन्होंने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या ढांचे (एनसीएफ) का मसौदा तैयार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) जैसे प्रमुख संस्थानों के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य रहे।


राजनीतिक और सामाजिक योगदान

कस्तूरीरंगन ने राज्यसभा के सदस्य के रूप में भी अपनी सेवा दी (2003-09) और भारतीय योजना आयोग के सदस्य के तौर पर कार्य किया। वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी रहे।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कस्तूरीरंगन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “भारत के वैज्ञानिक और शैक्षिक सफर के अहम व्यक्ति रहे डॉ. कस्तूरीरंगन के निधन से गहरा दुख हुआ है। उनके दूरदर्शी नेतृत्व और राष्ट्र के लिए निस्वार्थ योगदान को सदैव याद रखा जाएगा।”


डॉ. कस्तूरीरंगन का योगदान न केवल भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में महत्वपूर्ण था, बल्कि उन्होंने शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी अपूर्व कार्य किया। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।

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