डीएड विशेष शिक्षा वालों की फटी पड़ी है: ब्रिज कोर्स का कोई नामोनिशान नहीं!डीएड विशेष शिक्षा, 69000 शिक्षक भर्ती, ब्रिज कोर्स विवाद, NCTE नोटिफिकेशन, RCI योजना, शिक्षक भर्ती 2025, प्राथमिक विद्यालय शिक्षक
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69000 भर्ती: बीएड को नोटिफिकेशन मिल गया, डीएड वाले अब भी लटक रहे हैं!
28 जून 2018 के बाद बीएड डिग्री वालों के लिए तो NCTE ने ब्रिज कोर्स की अधिसूचना जारी कर दी है (चलो एक टेंशन कम हुई!)
लेकिन डीएड (विशेष शिक्षा) वालों की हालत?
“अबे साले, हम क्या आसमान से टपके हैं?” यही सवाल हर डीएड वाला पूछ रहा है!
बिना किसी स्पष्ट प्लान के तीन साल से स्कूलों में पढ़ा रहे हैं, और ब्रिज कोर्स का कोई अता-पता नहीं!
– अरे भाई ये क्या मज़ाक है?
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विज्ञापन में शर्त थी: “कोर्स करना होगा अनिवार्य” – लेकिन अमल? ZERO! ❌
69000 भर्ती के विज्ञापन में तो लिख दिया गया था कि बीएड और डीएड (विशेष) वाले 6 महीने का विशेष प्रशिक्षण करेंगे – ताकि प्राथमिक स्तर की योग्यता पूरी हो जाए।
लेकिन सालों बाद भी ये प्रशिक्षण शुरू नहीं हुआ।
बस नियुक्ति कर दी, सैलरी दी, लेकिन कोर्स? हवा हो गया!
– “इसे कहते हैं आधा तीतर, आधा बटेर!”
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NCTE की नोटिफिकेशन में डीएड वालों का नाम तक नहीं!
7 अप्रैल 2025 को बीएड वालों के लिए डिटेल में ब्रिज कोर्स की नोटिफिकेशन आई।
उसमें लिखा गया – कोर्स कैसे होगा, माध्यम क्या होगा, संस्थान कौन होंगे, सब कुछ।
लेकिन डीएड (विशेष शिक्षा) वाले?
उनका तो नाम तक नहीं लिखा!
मतलब ये तो वही बात हो गई – “घर में शादी हो रही है और तुझे बुलाया ही नहीं गया”
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RCI भी मस्त नींद में है – कोई योजना ही नहीं!
भारतीय पुनर्वास परिषद (RCI) ने भी अभी तक कोई ब्रिज कोर्स संबंधित योजना घोषित नहीं की।
2020 में नियुक्त 3000 से ज्यादा डीएड स्पेशल एजुकेटर्स अब भी असमंजस में हैं –
“अरे भाई! क्या हमें हटाने का प्लान है या छोड़ रखा है भगवान भरोसे?”
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शिक्षकों की सेवा जारी है, सैलरी मिल रही है, लेकिन भविष्य अधर में!
ये सभी शिक्षक नियमित स्कूलों में काम कर रहे हैं, पूरी सैलरी मिल रही है, सारी सुविधाएं भी –
लेकिन दिल में एक डर बैठा है –
“अगर कल को कहा गया कि तुम तो योग्य ही नहीं थे, तो?”
– और यही डर बनाता है इस पूरे सिस्टम को एक ticking time bomb!
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तो आखिर सवाल ये है – जब कोर्स था ही नहीं, तो लिखा क्यों था?
अगर ब्रिज कोर्स इतना जरूरी था, तो उसकी तैयारी और कार्यान्वयन योजना क्यों नहीं बनी?
और अगर जरूरी नहीं था, तो फिर इसे विज्ञापन में क्यों लिखा?
– “या तो बोल दो कि गलती हो गई, या फिर काम पूरा करो!”
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डीएड (विशेष शिक्षा) वालों के लिए स्थिति साफ नहीं है। जब देश में शिक्षा का स्तर सुधारने की बात हो रही है, तो ऐसे आधे-अधूरे फैसले सिर्फ confusion बढ़ाते हैं।
सरकार और RCI को चाहिए कि जल्द से जल्द कोई स्पष्ट दिशा निर्देश जारी करें, वरना ये मामला कोर्ट तक जा सकता है – और फिर वही होगा: न नौकरी ठिकाने, न कोर्स का नामोनिशान!
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