बहराइच: विद्यालय में मिड डे मील की जगह बांटे गए बिस्कुट, शौचालय बंद, सिर्फ अटैच शिक्षक के भरोसे चल रहा स्कूल
बहराइच जनपद के बलहा विकासखंड में शिक्षा व्यवस्था की पोल खुलती जा रही है। ग्राम पंचायत नानपारा देहात स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय बंजारन टांडा में बच्चों को न तो सही मिड डे मील मिल रहा है, न ही पठन-पाठन की व्यवस्था ठीक है।
बच्चों ने खुद किया खुलासा: नहीं मिली दाल-रोटी, सिर्फ बिस्कुट
जांच के दौरान जब बच्चों से मिड डे मील (MDM) के बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि उन्हें कोई खाना नहीं मिला, सिर्फ पारले बिस्कुट दिए गए।
इस पर विद्यालय की प्रधानाध्यापिका नाराज़ हो गईं और बच्चों पर दाल-रोटी दिए जाने की बात कहने का दबाव बनाने लगीं। इससे गंभीर अनियमितता और बच्चों पर दबाव डालने की बात सामने आई।
उपस्थिति बेहद कम, बच्चे खेलते मिले कैरम
विद्यालय में छात्र उपस्थिति 50% से भी कम रही।
- कक्षा 6 में 14 पंजीकृत, उपस्थित सिर्फ 4
- कक्षा 7 में 24 में से 6 छात्र उपस्थित
- कक्षा 8 में 19 में से सिर्फ 6 छात्र उपस्थित
इसके अलावा ज्यादातर बच्चे पढ़ाई के बजाय कैरम खेलते दिखे, जिससे स्कूल में शिक्षा की गंभीर स्थिति का खुलासा हुआ।
विद्यालय सिर्फ अटैच शिक्षक के भरोसे, शौचालय बदहाल
इस विद्यालय में कोई नियमित शिक्षक तैनात नहीं है। केवल अरुण कुमार नामक एक अटैच शिक्षक ही स्कूल संचालन कर रहे हैं।
वहीं विद्यालय का शौचालय पूरी तरह बंद और मूत्रालय क्षतिग्रस्त पाया गया। इससे बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा भी खतरे में है।
पुराने अधिकारियों के नाम अब भी डिस्प्ले पर, आंगनबाड़ी केंद्र जर्जर
विद्यालय में लगे डिस्प्ले बोर्ड पर अब भी पूर्व एसडीएम, बीडीओ और बीईओ के नाम अंकित हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि स्कूल प्रबंधन अपडेट तक नहीं करता।
स्कूल परिसर में बना आंगनबाड़ी केंद्र भी जर्जर हालत में है, जो नन्हे बच्चों के लिए खतरा बन सकता है।
BSA ने दिए सख्त कार्रवाई के संकेत
इस पूरे मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) आशीष सिंह ने कहा:
“नियमों के अनुसार मिड डे मील तैयार कराया जाना अनिवार्य है। यदि लापरवाही पाई जाती है तो जांच कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
निष्कर्ष: शिक्षा व्यवस्था पर उठते सवाल
एक ओर सरकार परिषदीय विद्यालयों में डिजिटल साक्षरता और गुणवत्ता सुधार की बातें कर रही है, वहीं दूसरी ओर बंजारन टांडा जैसे विद्यालय मूलभूत शिक्षा व्यवस्था की बदहाली को सामने ला रहे हैं।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि ऐसी स्थितियों में तत्काल जांच कर जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे, ताकि बच्चों का भविष्य अंधकारमय न हो।
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