महाराष्ट्र में अब हिंदी अनिवार्य: पहली से 5वीं तक तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जाएगी हिंदी
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📘 महाराष्ट्र के स्कूलों में बड़ा बदलाव: हिंदी बनी तीसरी अनिवार्य भाषा!
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत महाराष्ट्र सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। अब राज्य के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा।
यह नियम शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से लागू होगा।
📚 अब तक क्या था सिस्टम?
अभी तक महाराष्ट्र में कक्षा 1 से 4 तक केवल मराठी और अंग्रेजी अनिवार्य भाषाएं थीं।
नई शिक्षा नीति के अनुसार अब तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को जोड़ा गया है, ताकि छात्र देश की संपर्क भाषा से भी जुड़ सकें।
🗓️ कब लागू होंगे नए नियम?
- कक्षा 1 के लिए — 2025-26
- कक्षा 2, 3, 4, 6 — 2026-27
- कक्षा 5, 9, 11 — 2027-28
- कक्षा 8, 10, 12 — 2028-29
🗣️ मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि मराठी पहले से अनिवार्य है, लेकिन हिंदी भी जरूरी है, क्योंकि वह देशभर में संवाद का माध्यम है।
⚡ विरोध की राजनीति भी तेज!
जहां एक ओर सरकार इस फैसले को शैक्षणिक विकास का कदम बता रही है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक विरोध भी देखने को मिल रहा है।
- राज ठाकरे, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख ने तीखा विरोध जताते हुए कहा:
“हम हिंदू हैं, हिंदी नहीं! महाराष्ट्र का हिंदीकरण नहीं होने देंगे!” - कांग्रेस ने भी इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह राज्य की भाषाई अस्मिता पर चोट है।
✍️ निष्कर्ष: शिक्षा या राजनीति?
हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाए जाने का फैसला शिक्षा की दृष्टि से सराहनीय माना जा सकता है, लेकिन इसका राजनीतिक और भाषाई प्रभाव भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
अब देखना यह है कि यह फैसला छात्रों के लिए अवसर बनेगा या विवाद का कारण?
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