केंद्र सरकार लाएगी स्कूल फीस नियंत्रण का मॉडल ड्राफ्ट, मनमानी वृद्धि पर लगेगी रोक 🏫💰

केंद्र सरकार लाएगी स्कूल फीस नियंत्रण का मॉडल ड्राफ्ट, मनमानी वृद्धि पर लगेगी रोक 🏫💰

मेटा कीवर्ड्स: स्कूल फीस नियम, NEP 2020, फीस नियंत्रण कानून, शिक्षा मंत्रालय, अभिभावक अधिकार, स्कूल रैंकिंग


स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोतरी पर सख्त नियम जल्द

केंद्र सरकार स्कूलों की फीस नियंत्रित करने के लिए एक मॉडल ड्राफ्ट तैयार कर रही है। यह कदम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) की सिफारिशों के अनुरूप उठाया जा रहा है। फिलहाल, केवल उत्तर प्रदेश (2018 का कानून) और छत्तीसगढ़ में ही मनमानी फीस वृद्धि को रोकने के लिए विशेष कानून हैं।

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प्रस्तावित नए नियमों के मुख्य बिंदु:

एक समान मानक: सभी स्कूलों को एक ही मानदंड के आधार पर फीस बढ़ानी होगी, मनमानी वृद्धि नहीं की जा सकेगी।
पारदर्शिता: स्कूलों को फीस, ड्रेस, किताबों आदि की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी और नए सत्र से पहले जिला शुल्क नियामक समिति को देनी होगी।
फीस भुगतान का विकल्प: स्कूल सालभर की एकमुश्त फीस नहीं ले सकेंगे, उन्हें 6, 3 या 1 महीने का भुगतान विकल्प देना होगा।
जुर्माना और सजा: नियम तोड़ने पर पहली बार 1 लाख रुपये और दूसरी बार 5 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा।


नए प्रावधान: अभिभावकों को मिलेंगे अधिकार

🔹 राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण (SSSA): हर राज्य में एक स्वतंत्र निकाय बनेगा, जो फीस निर्धारण और वृद्धि को मंजूरी देगा।
🔹 अभिभावक समिति को अधिकार: फीस से जुड़े विवादों को अभिभावक समिति के सामने चुनौती दी जा सकेगी, जिसे 15 दिनों में निर्णय लेना होगा
🔹 अपील का विकल्प: समिति का फैसला महीने भर में मंडल/राज्य फीस नियामक समिति के समक्ष चुनौती दी जा सकेगी।


क्यों जरूरी है यह कानून?

📌 UP और छत्तीसगढ़ के अलावा किसी राज्य में मनमानी फीस रोकने का कानून नहीं।
📌 कई निजी स्कूल अतिरिक्त शुल्क (कैपिटेशन फीस, डोनेशन) वसूलते हैं, जिस पर अंकुश लगेगा।
📌 अभिभावकों को पारदर्शिता मिलेगी, स्कूलों की रैंकिंग भी तय होगी


निष्कर्ष: क्या बदलाव आएगा?

स्कूलों की मनमानी फीस पर रोक
अभिभावकों को न्यायिक प्रक्रिया में भागीदारी
फीस संरचना में पारदर्शिता

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