इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम फैसला: बिना कारण बताए गिरफ्तारी अवैध
कोर्ट ने पुलिस को सख्त निर्देश दिए, गिरफ्तारी प्रक्रिया का कड़ाई से पालन करने को कहा
प्रयागराज, 12 अप्रैल 2025 – इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करते समय उसे गिरफ्तारी का कारण और आधार बताना अनिवार्य है। अगर पुलिस ऐसा नहीं करती, तो गिरफ्तारी अवैध मानी जाएगी।
मामले की मुख्य बातें
- याचिकाकर्ता: रामपुर निवासी मंजीत सिंह उर्फ इंदर पर धोखाधड़ी के मामले में केस दर्ज था।
- आरोप: पुलिस ने उसे बिना गिरफ्तारी का कारण बताए हिरासत में लिया और मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया।
- कोर्ट का निर्णय:
- न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने कहा कि गिरफ्तारी मेमो में कारण नहीं दिया गया, जो कानून का उल्लंघन है।
- संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर अभियुक्त को गिरफ्तारी का कारण जानने का अधिकार है।
- गिरफ्तारी आदेश रद्द कर दिया गया।
हाईकोर्ट के सख्त निर्देश
- डीजीपी को निर्देश:
- सभी जिला पुलिस अधिकारियों (SSP/SP) को सर्कुलर जारी करना होगा।
- गिरफ्तारी प्रक्रिया (CrPC की धारा 41, 50) का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना होगा।
- पुलिस को चेतावनी:
- बिना कारण बताए गिरफ्तारी करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
- प्री-प्रिंटेड गिरफ्तारी मेमो का इस्तेमाल नहीं कर सकते, हर केस में विस्तृत कारण लिखना होगा।
दूसरा मामला: वाराणसी के डीआईओएस के खिलाण जमानती वारंट
- अदालत: इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ (न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय)।
- आदेश:
- वाराणसी के डीआईओएस किशोर सिंह के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया।
- 28 अप्रैल को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया गया।
- कारण: अवमानना याचिका (अजय कुमार सिंह और अन्य बनाम यूपी सरकार) में आदेशों का पालन न करना।
निष्कर्ष: कानून की जीत
- यह फैसला नागरिक अधिकारों की रक्षा और पुलिस की मनमानी रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- अब पुलिस को पारदर्शी तरीके से गिरफ्तारी करनी होगी, वरना कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
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(अधिक जानकारी के लिए हाईकोर्ट के आदेश का पूरा पाठ पढ़ें।)