खुद बिना पढ़े चार साल से पढ़ा रहे हैं हजारों शिक्षक
69000 शिक्षक भर्ती के बीटीसी डिग्रीधारी चयनित शिक्षक वर्षों से कर रहे हैं शिक्षण कार्य
प्रयागराज: परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में चयनित हजारों शिक्षक पिछले चार वर्षों से बिना बीएड या डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) के शिक्षण कार्य कर रहे हैं। ये शिक्षक 69000 भर्ती प्रक्रिया में चयनित तो हुए, लेकिन अभी तक उनकी ट्रेनिंग पूरी नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एनसीटीई को निर्देशित किया गया है कि ऐसे शिक्षकों के लिए विशेष रूप से एक छह माह का ब्रिज कोर्स तैयार किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल 2024 को एनसीटीई को यह आदेश दिया था। इसके अनुसार, डिप्लोमा कोर्स पूरा न करने वाले शिक्षकों के लिए विशेष कार्यक्रम बनाकर उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण देना होगा ताकि वे शिक्षण की न्यूनतम योग्यता पूरी कर सकें।
कितने शिक्षक प्रभावित?
69000 शिक्षक भर्ती में दो चरणों में नियुक्ति हुई थी। पहले चरण में 31,277 और दूसरे चरण में 36,590 शिक्षकों को नियुक्त किया गया। इन नियुक्तियों में बहुत से शिक्षक ऐसे थे जिनके पास डीएलएड की डिग्री नहीं थी। बावजूद इसके, इन्हें नियुक्ति पत्र और स्कूलों में क्लास मिल गई।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप कर यह स्पष्ट किया कि नियुक्ति से पूर्व यदि कोई अभ्यर्थी आवश्यक योग्यता नहीं रखता है, तो उसे केवल प्रशिक्षण प्राप्त कर योग्य बनाया जा सकता है, लेकिन उसे अपात्र नहीं ठहराया जा सकता।
शिक्षकों की ओर से अदालत में दी गई दलील
बीटीसी डिग्रीधारी शिक्षकों ने कोर्ट में कहा कि वे नियुक्ति के समय योग्य माने गए थे और उन्हें राज्य सरकार ने नियुक्त किया। इसके बाद से वे नियमित रूप से शिक्षण कार्य कर रहे हैं। अब यदि उनकी नियुक्ति रद्द की जाती है, तो हजारों परिवारों पर संकट आ जाएगा।
कोर्ट ने इस तर्क को मानते हुए उन्हें राहत प्रदान की और एनसीटीई को निर्देशित किया कि वे 16 जुलाई 2024 तक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का प्रारूप तैयार करें और उसे लागू करें।
आगे की राह
अब एनसीटीई के सामने चुनौती है कि वह इस कोर्स को तेजी से तैयार कर राज्यों को भेजे ताकि नियुक्त शिक्षक अपनी योग्यता पूरी कर सकें और उनकी नियुक्ति वैध बनी रहे। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाए कि आने वाली भर्तियों में ऐसी त्रुटियाँ न दोहराई जाएँ।