तहसील में बड़ा घोटाला: 10 साल में 9680 फर्जी प्रमाणपत्र जारी, संविदाकर्मी फरार
🔍 मामला उजागर: तहसीलदार ने दर्ज कराया मुकदमा, पुलिस कर रही तलाश
📍 मुख्य बिंदु:
- 10 वर्षों तक चला फर्जीवाड़ा, लेकिन किसी को भनक तक नहीं
- आंगनबाड़ी भर्ती में शिकायत मिलने पर मामला सामने आया
- संविदाकर्मी ने तीन लेखपालों के डिजिटल हस्ताक्षर का किया दुरुपयोग
- 5849 आय, 1966 जाति और 1865 निवास प्रमाणपत्र फर्जी जारी किए गए
- आरोपी ऑपरेटर मोबाइल बंद कर भागा, पुलिस छापेमारी में जुटी
📜 पूरा मामला क्या है?
जखनिया तहसील में निर्वाचन विभाग के ऑपरेटर पद पर तैनात संविदाकर्मी कन्हैया राजभर पर फर्जी आय, जाति और निवास प्रमाणपत्र जारी करने का बड़ा घोटाला सामने आया है। तहसीलदार देवेंद्र यादव ने इसकी शिकायत करते हुए मुकदमा दर्ज कराया है।
🔎 कैसे चल रहा था फर्जीवाड़ा?
- तीन लेखपालों (कैलाश सिंह, संध्या, रवि भूषण) के स्थानांतरण के बाद उनके डिजिटल हस्ताक्षर का दुरुपयोग किया गया।
- 10 साल तक बिना किसी रोक-टोक के फर्जी दस्तावेज बनते रहे।
- स्थानीय लोगों ने पहले भी शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
🕵️♂️ कैसे पकड़ा गया मामला?
- आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्ती के दौरान शिकायत मिली।
- नए तहसीलदार देवेंद्र यादव ने जांच शुरू की, तो 9680 फर्जी प्रमाणपत्र का खुलासा हुआ।
- आरोपी संविदाकर्मी मामला सामने आते ही मोबाइल बंद कर भाग निकला।
⚖️ अब क्या होगा आगे?
- पुलिस संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।
- जांच में और नाम आने की आशंका, क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा अकेले नहीं हो सकता।
- स्थानांतरित लेखपालों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
📢 सिस्टम में सुधार की जरूरत
यह मामला सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है। डिजिटल हस्ताक्षर की सुरक्षा और नियमित ऑडिट जैसे कड़े उपायों की आवश्यकता है।
📌 हैशटैग: #जखनियाघोटाला #फर्जीप्रमाणपत्र #तहसीलदारकार्रवाई #संविदाकर्मीफरार #UP_News
📢 अपडेट्स के लिए बने रहें! पुलिस की कार्रवाई और नए खुलासों की जानकारी हम आप तक सबसे पहले पहुंचाएंगे। 🚨