बीएड बेरोज़गारों पर 6 लाख का जुर्माना, न्याय की तलाश में सुप्रीम कोर्ट जाएंगे उम्मीदवार

बीएड बेरोज़गारों पर 6 लाख का जुर्माना, न्याय की तलाश में सुप्रीम कोर्ट जाएंगे उम्मीदवार


📚 2011 की शिक्षक भर्ती विवाद: न्याय की तलाश में बीएड बेरोज़गार सुप्रीम कोर्ट की शरण में

उत्तर प्रदेश की 72,825 शिक्षक भर्ती का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। वर्ष 2011 में प्रकाशित इस भर्ती विज्ञापन ने हजारों बीएड धारकों को उम्मीद दी थी, लेकिन आज 14 साल बाद भी मामला सुलझने की बजाय और उलझ गया है।


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🔍 भर्ती प्रक्रिया में बदलाव बना विवाद की जड़

बसपा सरकार के कार्यकाल में 72825 शिक्षक भर्ती का विज्ञापन निकाला गया था। इसमें टीईटी मेरिट के आधार पर चयन होना था। भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई और करीब 66,000 पदों पर नियुक्ति भी हो गई। लेकिन जैसे ही सत्ता परिवर्तन हुआ और सपा सरकार आई, शेष भर्तियों को रोक दिया गया और भर्ती को अकैडमिक मेरिट आधारित करने की बात सामने आई।

यहीं से विवाद शुरू हो गया और बीएड धारक उम्मीदवारों ने विसंगति के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया।


⚖ हाईकोर्ट ने लगाया 6 लाख रुपये का जुर्माना

लंबे समय तक न्याय की उम्मीद में अदालतों के चक्कर काट रहे बीएड बेरोज़गारों को उस वक्त गहरा झटका लगा जब उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ ही 6 लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया। अदालत ने यह कहते हुए जुर्माना ठोका कि उम्मीदवार बहुत देर से न्याय की मांग करने आए हैं

यह निर्णय न केवल निराशाजनक है, बल्कि न्याय की उम्मीद रखने वालों के लिए एक बड़ा मानसिक आघात भी है।


🗣 बेरोज़गारों की पीड़ा: “ऐसे फैसलों से न्याय का भरोसा डगमगाएगा”

बीएड बेरोज़गारों ने इस निर्णय पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
चंदन भारद्वाज ने कहा – “इतने वर्षों से न्याय का इंतजार कर रहे हैं, और अब हम पर ही जुर्माना लगा दिया गया। अब तो लोग न्यायालय जाने से भी डरेंगे।”
सुधीर सिंह बोले – “सुप्रीम कोर्ट से निर्देश मिलने के बाद भी हाईकोर्ट का यह रवैया चौंकाने वाला है। हम अब सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर करेंगे।”


📝 सुप्रीम कोर्ट में अब न्याय की उम्मीद

राजेश कुमार, कुशलेंद्र सिंह, होडल सिंह, प्रदीप कुमार, सरिता पाल सहित दर्जनों बीएड बेरोज़गारों ने साफ किया है कि वे जल्द ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। उनका कहना है कि वे TET मेरिट के आधार पर भर्ती की वैधता और शेष पदों पर नियुक्ति के लिए आखिरी दम तक लड़ाई लड़ेंगे।


📌 निष्कर्ष: न्याय के लिए समय सीमा की तलवार कब तक?

बीएड बेरोज़गारों के इस संघर्ष ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है—क्या न्याय मांगने की कोई एक्सपायरी डेट होती है?
जहां एक ओर सुप्रीम कोर्ट ने निस्तारण का निर्देश दिया था, वहीं हाईकोर्ट का जुर्माना फैसले को और विवादास्पद बना रहा है।


अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर हैं, जहाँ बीएड बेरोज़गार अपने हक़ के लिए आखिरी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।


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