नया वित्त वर्ष, नई कर योजना: कौन सी टैक्स व्यवस्था आपके लिए बेहतर है?

नया वित्त वर्ष, नई कर योजना: कौन सी टैक्स व्यवस्था आपके लिए बेहतर है?


क्या आप सही टैक्स व्यवस्था चुन रहे हैं? जानिए 2025 की नई और पुरानी कर प्रणाली में कौन सी है फायदेमंद!

1 अप्रैल 2025 से नए वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ आयकरदाताओं को एक अहम निर्णय लेना होगा – नई कर व्यवस्था चुनें या पुरानी?

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सरकार ने नई कर व्यवस्था को सरल और आकर्षक बनाने के लिए इसमें कई बदलाव किए हैं। खासतौर पर मध्यम वर्ग को ध्यान में रखते हुए छूट सीमा में बढ़ोतरी की गई है। लेकिन क्या यह बदलाव सभी के लिए बेहतर है? आइए दोनों व्यवस्थाओं की तुलना करते हैं।


नई कर व्यवस्था 2025: सरल लेकिन सीमित छूट

प्रमुख विशेषताएं:

  • करमुक्त आय सीमा: 12 लाख रुपये (वेतनभोगियों के लिए 12.75 लाख रुपये तक)
  • स्टैंडर्ड डिडक्शन: ₹75,000 (केवल वेतनभोगियों के लिए)
  • 80CCD (2) (NPS में नियोक्ता योगदान) को छोड़कर अन्य कटौतियां नहीं
  • 4% स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर लागू
  • 87A के तहत रिबेट अब ₹60,000 तक

उपयुक्त किसके लिए?

  • जो ज्यादा निवेश/बचत नहीं करते
  • जिनकी वार्षिक आय 12.75 लाख रुपये तक है

पुरानी कर व्यवस्था: बचत करने वालों के लिए बेहतर विकल्प

प्रमुख छूटें:

  • धारा 80सी (₹1.5 लाख तक)
  • धारा 24(बी) (हाउसिंग लोन ब्याज ₹2 लाख तक)
  • धारा 80डी (हेल्थ इंश्योरेंस)
  • एचआरए, एलटीए, और अन्य भत्ते
  • धारा 80G, 80E आदि

उपयुक्त किसके लिए?

  • जो कर बचाने के लिए निवेश योजनाओं में रुचि रखते हैं
  • जिनकी आय 13–15 लाख या अधिक है
  • जो कम से कम ₹5.5 लाख की कटौती क्लेम कर सकते हैं

कर तुलना: नई बनाम पुरानी व्यवस्था

(

नोट: वेतनभोगियों के लिए ₹75,000 की स्टैंडर्ड डिडक्शन जोड़ी गई है।


नई व्यवस्था में टैक्स रिबेट का फायदा

  • पहले: 12.75 लाख की आय पर टैक्स – ₹80,000
  • अब: वही टैक्स – ₹60,000
  • धारा 87A के तहत रिबेट बढ़ाकर ₹60,000 कर दी गई है, जिससे 12 लाख तक की आय टैक्स फ्री हो गई है।

निष्कर्ष: कौन सी व्यवस्था चुनें?

यदि आप…तो चुनें… बचत योजनाओं में निवेश नहीं करते नई व्यवस्था होम लोन, LIC, पीपीएफ, मेडिक्लेम में निवेश करते हैं पुरानी व्यवस्था आपकी वार्षिक आय 12 लाख रुपये तक है नई व्यवस्था आपकी आय 15 लाख रुपये से ज्यादा है और निवेश करते हैं पुरानी व्यवस्था


अंत में, अपनी टैक्स स्थिति को समझना और समय पर योजना बनाना ही आपको अतिरिक्त टैक्स से बचा सकता है।

आप चाहें तो मैं आपके लिए एक कस्टम टैक्स कैलकुलेटर भी बना सकता हूं, जिससे आप दोनों व्यवस्थाओं में अपना टैक्स अंतर आसानी से देख सकें। बताइए, क्या बनाऊं?

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