आशा कार्यकर्ताओं को औपचारिक कर्मचारी का दर्जा देने की सिफारिश 🏥👩⚕️
नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने देशभर में काम कर रही लाखों आशा कार्यकर्ताओं के लिए निश्चित वेतन, भत्ता, पेंशन और औपचारिक कार्यकर्ता का दर्जा देने का सुझाव दिया है। आयोग का मानना है कि पिछले 20 वर्षों में आशा कार्यकर्ताओं के प्रयासों से नवजात और शिशु मृत्यु दर में कमी आई है, इसलिए उनके जीवन स्तर और कार्य स्थितियों में सुधार की आवश्यकता है।
📌 NHRC के महत्वपूर्ण सुझाव:
✅ निश्चित वेतन और पेंशन: आशा कार्यकर्ताओं को वित्तीय सुरक्षा देने के लिए नियमित वेतन और सेवानिवृत्ति लाभ मिलना चाहिए।
✅ औपचारिक कार्यकर्ता का दर्जा: उन्हें स्वास्थ्य सेवा में स्थायी भूमिका दी जाए ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रहे।
✅ ब्रिज कोर्स: मेडिकल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के सहयोग से प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जाएं ताकि उन्हें औपचारिक स्वास्थ्य सेवा में शामिल किया जा सके।
✅ सार्वजनिक-निजी भागीदारी: आशा कार्यकर्ताओं के लिए बेहतर रोजगार के अवसर सृजित करने हेतु निजी और सरकारी संस्थाओं के बीच साझेदारी को बढ़ावा दिया जाए।
✅ किफायती सामुदायिक देखभाल सेवाएं: स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार कर आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका को और प्रभावी बनाया जाए।
👨⚖️ जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यन का बयान
आयोग के अध्यक्ष जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यन ने कहा कि –
🗣️ “विडंबना यह है कि जो लोग समाज में सबसे अधिक योगदान देते हैं, उन्हें सबसे कम मिलता है। जो लोग हाशिए पर पड़े लोगों की देखभाल करते हैं, वे खुद हाशिए पर चले जाते हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत में शिक्षित लोगों की संख्या अधिक है, लेकिन कुशल कामगारों की कमी है। आशा कार्यकर्ताओं को औपचारिक रूप से प्रशिक्षित करके इस अंतर को दूर किया जा सकता है और उन्हें बेहतर रोजगार अवसर दिए जा सकते हैं।
💬 निष्कर्ष
यह सिफारिश देशभर में लाखों आशा कार्यकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है। यदि सरकार इन सिफारिशों को लागू करती है, तो आशा कार्यकर्ताओं को वित्तीय और सामाजिक सुरक्षा मिलेगी और वे अधिक प्रभावी रूप से स्वास्थ्य सेवाओं में योगदान दे सकेंगी।
📢 आपकी क्या राय है? क्या सरकार को इन सिफारिशों को लागू करना चाहिए? कमेंट में बताएं! 💬