नेपाल में ‘मिशन आबाद’ का खतरा: भारत की सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती

नेपाल में ‘मिशन आबाद’ का खतरा: भारत की सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती

नई दिल्ली | भारत से सटे नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में तेजी से बदलती जनसांख्यिकीय स्थिति सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गई है। गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, तुर्की, कतर, सीरिया और पाकिस्तान जैसे देशों से नेपाल में 650 करोड़ रुपये की फंडिंग हुई है, जिसका उपयोग मजहबी शिक्षा की आड़ में विशेष समुदाय की आबादी बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।


मिशन आबाद: नेपाल में जनसंख्या परिवर्तन की साजिश?

भारत-नेपाल सीमा के तराई और मधेश क्षेत्रों में तेजी से एक विशेष समुदाय की बसावट हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, बीते पांच वर्षों में यहां की आबादी 30% तक बढ़ी है, जिसमें बांग्लादेशी और रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या सबसे अधिक है।

👉 मिशन आबाद का मकसद:
✅ नेपाल में एक विशेष समुदाय की आबादी को बढ़ाना
✅ शिक्षण संस्थानों की आड़ में असम और पश्चिम बंगाल तक के लोगों को बसाना
✅ भारत की सीमाओं पर जनसंख्या संतुलन को बिगाड़ना
✅ विदेशी फंडिंग से धार्मिक स्थलों और मदरसों का निर्माण

नेपाल के सरलाही, रौतहाट, बारा, परसा, बांके और कपिलवस्तु जिलों में इस मिशन का प्रभाव साफ दिखने लगा है।

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विदेशी फंडिंग से बढ़ती धार्मिक गतिविधियां

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल में मौजूद कट्टर इस्लामिक संगठनों को बीते वर्षों में 500 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग मिली है।

📌 फंडिंग के प्रमुख स्रोत:
➡️ अक्टूबर 2023: तुर्की और कतर से 350 करोड़ रुपये मस्जिद और मदरसों के निर्माण के लिए
➡️ अक्टूबर 2022: पाकिस्तान से 25 करोड़ रुपये धार्मिक शिक्षा के प्रचार के लिए
➡️ जनवरी 2021: कतर से 90 लाख रुपये नेपाल में मदरसों की स्थापना के लिए
➡️ सऊदी अरब: सीमा पर बने धार्मिक स्थलों के लिए सीधा वित्तीय सहयोग

नेपाल के दांग जिले के मुस्तकीम का कहना है कि उनकी मस्जिद की मीनार के लिए पैसा सऊदी अरब से आया था।


नेपाल की सरकार और भारत की चिंता

नेपाल के उप प्रधानमंत्री उपेंद्र यादव ने इस जनसंख्या बदलाव को देश के लिए घातक बताया और कहा कि इसका खामियाजा भारत को भी भुगतना पड़ सकता है।

📌 नेपाल में संदिग्ध फंडिंग के प्रमुख स्रोत:
सऊदी अरब इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक
मुस्लिम वर्ल्ड लीग
दावत-ए-इस्लाम
इस्लामिक संघ ऑफ नेपाल

भारत की सुरक्षा एजेंसियां इस घटनाक्रम को बेहद गंभीर चुनौती मान रही हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार से सटे जिलों – महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत में ज़कात और विदेशी चंदे के जरिए गतिविधियां बढ़ रही हैं।


क्या भारत पर खतरा मंडरा रहा है?

इस तरह की तेजी से बढ़ती आबादी और सीमावर्ती क्षेत्रों में धार्मिक गतिविधियां केवल नेपाल के लिए ही नहीं, बल्कि भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर सकती हैं।

राजनीतिक प्रभाव: सीमावर्ती इलाकों में एक समुदाय विशेष की संख्या बढ़ने से स्थानीय राजनीति में असंतुलन आ सकता है।
आतंकी खतरा: विदेशी फंडिंग और कट्टरपंथी संगठनों की संलिप्तता भारत के खिलाफ षड्यंत्र को जन्म दे सकती है।
आप्रवासन संकट: बांग्लादेशी और रोहिंग्या शरणार्थियों की बढ़ती संख्या भारतीय नागरिकों के लिए रोजगार, संसाधनों और कानून-व्यवस्था की चुनौती खड़ी कर सकती है।


निष्कर्ष: भारत को चौकन्ना रहना होगा

नेपाल में “मिशन आबाद” के तहत हो रही आबादी वृद्धि और विदेशी फंडिंग भारत के लिए भविष्य में एक गंभीर सुरक्षा संकट बन सकती है। ऐसे में, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को नेपाल सरकार के साथ मिलकर प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है ताकि इस षड्यंत्र को विफल किया जा सके।


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