🏦 आरबीआई ने रेपो दर में 0.25% की कटौती — घर-कार की किस्तें सस्ती होंगी
रिकॉर्ड निचले स्तर पर महंगाई और तेज़ जीडीपी वृद्धि के बीच केंद्रीय बैंक का उपभोक्ताओं को बड़ा तोहफा।
अमर उजाला ब्यूरो — मुंबई | तारीख: जाहिर किए गए स्रोत के अनुसार 🗓️
🔑 मुख्य बातें (Highlights)
- कटौती का आकार: 0.25% — रेपो दर अब 5.25%.
- आर्थिक परिप्रेक्ष्य: महंगाई रिकॉर्ड निचले स्तर पर और अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ रही है।
- प्रभाव: आवास, वाहन और अन्य उपभोक्ता ऋण सस्ते होंगे — उपभोक्ताओं की जेब में मासिक बचत।
- MPC: छह सदस्यीय समिति ने यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा: “विपरीत व चुनौतीपूर्ण बाहरी परिवेश के बावजूद अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय लचीलापन दिखाया है और उच्च वृद्धि दर्ज करने के लिए तैयार है।” 🌱
📈 यह क्यों महत्वपूर्ण है?
दरों में कटौती का सबसे तत्काल प्रभाव ऋण-लागत पर दिखाई देता है। जब आरबीआई रेपो घटाता है, बैंकों के लिए सस्ता फंड उपलब्ध होता है — और बैंक यह फायदा उधारकर्ताओं को पास कर देते हैं। नतीजा: किस्तें कम, बचत बढ़ती है और बाजार में मांग को बढ़ावा मिल सकता है — जो अर्थव्यवस्था की वृद्धि को और गति दे सकता है। ⚡
साथ ही, आरबीआई ने महंगाई (Retail Inflation) के अनुमान घटाकर बताया है — यह मजबूती का संकेत है क्योंकि कम महंगाई से नीतिगत दरें नरम रखने में सुविधा होती है।
💡 एक उदाहरण — 20 लाख के लोन पर बचत
यदि बैंक अपनी ब्याज दरों में 0.25% कटौती लागू करते हैं, तो 20 लाख रुपये के 20 साल के लोन पर अनुमानित बचत इस प्रकार होगी:
| दर | किस्त (₹/माह) | कुल ब्याज (₹) | कुल देय रकम (₹) |
|---|---|---|---|
| 8.00% | 16,729 | 20.14 लाख | 40.14 लाख |
| 7.75% | 16,419 | 19.40 लाख | 39.40 लाख |
कुल मासिक लाभ: ₹310
कुल अनुमानित बचत (पूरे लोन पर): ₹74,000 💸
🔭 आर्थिक परिदृश्य — ‘दुर्लभ स्वर्णिम काल’
मल्होत्रा ने कहा कि 2025-26 की पहली छमाही (अप्रैल–सितंबर) में महंगाई लगभग 2.2% रही और अर्थव्यवस्था ने 8.0% की तेज वृद्धि दिखाई — जो केंद्रीय बैंक के लिए एक दुर्लभ और सकारात्मक संयोजन है। RBI ने वित्त वर्ष के लिए अपने खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान को भी 2.6% से घटाकर 2% कर दिया है — यह संकेत है कि मुद्रास्फीति अपेक्षित लक्ष्य के आसपास नियंत्रित है। 🎯
आरबीआई का मिड-टर्म लक्ष्य मुद्रास्फीति को 4% ± 2% के दायरे में रखना है — और वर्तमान आँकड़े नीति को नरम करने के लिए अवसर देते हैं।
📝 उपभोक्ताओं के लिए सुझाव
- ब्याज दरों पर नजर रखें: अपने बैंक या फाइनेंस कंपनी से जानें कि क्या वे रेपो कटौती का लाभ पास कर रहे हैं।
- रिफ़ायनेंस विकल्प: पुराने महंगे लोन का रिफ़ायनेंस करवा कर मासिक किस्त और कुल ब्याज घटाया जा सकता है।
- बजट रीबैलेंस: जो बचत हो रही है, उसके कुछ हिस्से को आपातकालीन फंड या निवेश में डालें।
