कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल: पिता के निधन के बाद भी बीएलओ दीनानाथ भाबर ने निभाया फर्ज, सिर्फ एक दिन का शोक, अगले दिन से SIR कार्य में जुटे
✍️ सरकारी कलम | ईमानदारी और सेवा की प्रेरक कहानियाँ
कहते हैं—
👉 “कर्तव्यनिष्ठा परिस्थितियों की मोहताज नहीं होती।”
इस बात को सच साबित किया है झाबुआ विधानसभा क्षेत्र के बीएलओ दीनानाथ भाबर ने, जिन्होंने व्यक्तिगत शोक को परे रखकर कर्तव्य को सर्वोपरि माना और पूरे जिले के लिए एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया।
✦ पिता के निधन के बाद भी फर्ज पहले
21 नवंबर को दीनानाथ भाबर के पिता भूरा जोता भाबर भावर का निधन हो गया।
जहाँ ग्रामीण परंपरा के अनुसार परिवार 13 दिन का शोक मनाता है, वहीं दीनानाथ ने केवल एक दिन का विराम लिया।
अगले ही दिन वे पिता की तस्वीर अपने सामने रखकर बैठ गए…
और मोबाइल पर विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के कार्य में जुट गए।
उनका दायित्व था—
👉 मतदान केंद्र क्रमांक 141
👉 कुल मतदाता: 1111
👉 डेटा डिजिटलाइजेशन
✦ आंकड़े बताते हैं—कर्तव्य के प्रति समर्पण
केवल दो दिनों में दीनानाथ भाबर ने—
✔️ 841 मतदाताओं का डेटा अपलोड कर दिया
✔️ यानी 75% से अधिक लक्ष्य पूरा कर लिया
ये उपलब्धि सामान्य नहीं है, विशेषकर उन परिस्थितियों में जबकि वे गहरे निजी दुःख से गुजर रहे थे।
✦ जिले में SIR कार्य की प्रगति
झाबुआ जिले में SIR कार्य तेजी से अंतिम चरण में पहुँच रहा है।
शुक्रवार शाम तक:
- कुल मतदाता: 9,07,093
- डिजिटलाइज: 7,76,505
- उपलब्धि: 85.60%
विधानसभा-वार प्रगति

✦ कलेक्टर ने की सराहना, भेजी टीम
दीनानाथ के समर्पण की सूचना मिलते ही
कलेक्टर नेहा मीना ने तत्काल संज्ञान लेते हुए—
✔️ एसडीएम भास्कर गाचले
✔️ और आरईएस विभाग के ईई सीएस अलावा
को गांव भेजा।
अधिकारियों ने उनके पिता के निधन पर संवेदना व्यक्त की और उनकी कर्मठता की खुलकर सराहना की।
कलेक्टर नेहा मीना ने कहा—
👉 “बीएलओ दीनानाथ भाबर ने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जो उदाहरण प्रस्तुत किया है, वह पूरे जिले के कर्मचारियों के लिए प्रेरणादायक है।”
✦ समर्पण की अनोखी मिसाल
दीनानाथ भाबर का यह निर्णय प्रशासनिक तंत्र में नई ऊर्जा और सकारात्मकता जगाता है। यह बताता है कि—
✔️ सरकारी कार्य केवल ड्यूटी नहीं,
✔️ बल्कि राष्ट्र सेवा की भावना भी है।
उनके समर्पण की चर्चा पूरे जिले में है, और कर्मचारी उन्हें एक प्रेरक आदर्श के रूप में देख रहे हैं।
✦ सरकारी कलम की राय ✍️
आज जब कई जगह SIR कार्य बोझ और तनाव का कारण बन रहा है,
ऐसे समय में दीनानाथ भाबर का उदाहरण बताता है कि—
👉 “कर्तव्य तब भी निभाया जा सकता है जब परिस्थितियाँ विपरीत हों।”
उनका योगदान न सिर्फ सराहनीय है, बल्कि सरकारी मशीनरी में एक सकारात्मक संदेश भी देता है।
