शिक्षकों के वेतन बिलों में देरी पर कोषाधिकारी नाराज़ — जिलाधिकारी से की सख्त कार्यवाही की मांग


आगरा में शिक्षकों के वेतन बिलों में देरी पर कोषाधिकारी नाराज़ — जिलाधिकारी से की सख्त कार्यवाही की मांग


✍️ विशेष रिपोर्ट | सरकारी कलम

आगरा।
बेसिक शिक्षा विभाग की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। कोषागार आगरा ने जिलाधिकारी को भेजे एक पत्र में बेसिक शिक्षा विभाग पर शिक्षकों के वेतन बिलों को हर माह देर से प्रस्तुत करने का गंभीर आरोप लगाया है।

मुख्य कोषाधिकारी, आगरा द्वारा जारी पत्रांक 3061/कोष०/अधि०/2025-26 दिनांक 14 अक्तूबर 2025 के अनुसार, बेसिक शिक्षा विभाग के आहरण वितरण अधिकारी (DDO) द्वारा शिक्षकों के वेतन बिल इस माह भी देरी से प्रस्तुत किए गए।


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📑 क्या लिखा है पत्र में?

मुख्य कोषाधिकारी ने बताया कि—

  • वेतन बिल 8 अक्तूबर को शाम 4:30 बजे कोषागार पहुंचे,
  • जिन्हें 9 अक्तूबर को पारित कर दिया गया,
  • शेष 1 बिल आपत्ति निस्तारण के बाद 13 अक्तूबर शाम 4:55 बजे जमा हुआ,
  • और उसे 14 अक्तूबर सुबह 11:00 बजे पास किया गया।

उन्होंने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि विभाग को यह भलीभांति ज्ञात है कि प्रत्येक माह की 25 तारीख तक वेतन बिल कोषागार में प्रस्तुत किए जाने चाहिए, ताकि समय से पारित कर कर्मचारियों को वेतन दिया जा सके।


⚠️ कोषागार पर दबाव, फोन कराते हैं शिक्षक

पत्र में यह भी कहा गया है कि बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा हर माह बिलों को देर से भेजने के बाद भी अधिकारियों द्वारा कोषागार पर “बिल शीघ्र पास करने का दबाव” बनाया जाता है।
यहाँ तक कि शिक्षकों से भी फोन कराकर दबाव डलवाया जाता है, जिससे कोषागार के अन्य शासकीय कार्य प्रभावित होते हैं और कोषागार की छवि भी धूमिल होती है।


😟 शिक्षकों में असंतोष, प्रणाली पर सवाल

वेतन बिलों के विलंब से पारित होने के कारण शिक्षकों में भी असंतोष व्याप्त है। कोषागार का कहना है कि यह देरी न केवल कार्यप्रणाली की कमजोरी को दर्शाती है, बल्कि शिक्षकों के मनोबल को भी प्रभावित करती है।


🧾 जिलाधिकारी से क्या मांगा गया है?

मुख्य कोषाधिकारी ने जिलाधिकारी आगरा से अनुरोध किया है कि

“बेसिक शिक्षा अधिकारी व वित्त एवं लेखाधिकारी (आहरण वितरण अधिकारी) को यह निर्देशित किया जाए कि वेतन बिल हर माह की 25 तारीख तक कोषागार में प्रस्तुत करें, ताकि शिक्षकों को समय से वेतन प्राप्त हो सके।”


🗣️ सरकारी कलम की राय:

यह मामला सिर्फ “बिलों की देरी” का नहीं, बल्कि प्रशासनिक शिथिलता और जवाबदेही की कमी का उदाहरण है।
जहाँ शिक्षक रोज़ शिक्षा व्यवस्था को संवारने में लगे रहते हैं, वहीं उनके वेतन बिलों को समय से प्रस्तुत न करना एक गंभीर लापरवाही है।
अगर यही स्थिति जारी रही तो इसका सीधा असर शिक्षण व्यवस्था की स्थिरता और कर्मचारियों के मनोबल पर पड़ेगा।

सरकारी कलम का मानना है कि जिलाधिकारी को इस विषय पर कठोर निर्देश जारी कर नियमित मॉनिटरिंग प्रणाली लागू करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसा दोबारा न हो।


📌 #SarkariKalamAnalysis
🔹 विभागीय शिथिलता = शिक्षकों की परेशानी
🔹 दबाव की राजनीति = प्रशासन की साख पर प्रश्न
🔹 समाधान = समयबद्ध बिल प्रस्तुत करने की सख्त व्यवस्था


क्या आप भी किसी विभागीय लापरवाही के शिकार हैं?
अपनी कहानी भेजें 📩 editor@sarkarikalam.com पर —
सरकारी कलम आपकी आवाज़ बनेगा! 🖋️


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