👧 डिजिटल दौर में लड़कियाँ कितनी सुरक्षित? — CJI बी.आर. गवई ने जताई गहरी चिंता 💻⚖️
📍 नई दिल्ली।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने डिजिटल युग में लड़कियों की बढ़ती असुरक्षा पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।
उन्होंने कहा कि आज के दौर में ऑनलाइन उत्पीड़न, साइबर धमकी, व्यक्तिगत डेटा की चोरी और डीपफेक तस्वीरें जैसी घटनाएँ, बालिकाओं की गरिमा और सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती बन गई हैं।
🧠 मुख्य न्यायाधीश की चेतावनी
मुख्य न्यायाधीश गवई “बालिकाओं की सुरक्षा: भारत में उनके लिए एक सुरक्षित और सक्षम वातावरण” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय हितधारक परामर्श बैठक को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा —
“डिजिटल दुनिया ने जहाँ अवसर दिए हैं, वहीं बालिकाओं के लिए नई चिंताएँ भी खड़ी की हैं। अब ज़रूरत है कि ऐसे अपराधों से निपटने के लिए विशेष कानून और प्रशिक्षित एजेंसियाँ बनाई जाएँ।”
⚔️ डीपफेक से डेटा चोरी तक — बढ़ रही डिजिटल चुनौतियाँ
आज के समय में सोशल मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ज़रिए
- डीपफेक वीडियो,
- फोटो मॉर्फिंग,
- ऑनलाइन ट्रोलिंग,
- और साइबर ब्लैकमेलिंग
जैसी घटनाएँ तेजी से बढ़ रही हैं।
इनका सबसे ज्यादा असर किशोरियों और युवतियों पर पड़ रहा है, जो डिजिटल साक्षरता की कमी के कारण अक्सर निशाना बन जाती हैं।
🧩 क्या चाहिए अब?
CJI गवई ने सुझाव दिया कि—
- साइबर अपराधों से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण प्राप्त जांच एजेंसियाँ गठित की जाएँ।
- स्कूलों और कॉलेजों में साइबर सेफ्टी शिक्षा को अनिवार्य किया जाए।
- और सबसे ज़रूरी, लड़कियों को आत्मविश्वास और डिजिटल सशक्तिकरण से लैस किया जाए।
💬 सरकारी कलम की राय ✍️
आज की “नई पीढ़ी की सुरक्षा” सिर्फ सड़कों पर नहीं, बल्कि स्क्रीन पर भी सुनिश्चित करनी होगी।
डिजिटल आज़ादी तभी सार्थक है जब वह सुरक्षा और सम्मान के साथ मिले।
सरकार, समाज और टेक्नोलॉजी कंपनियों को मिलकर ऐसा डिजिटल भारत बनाना होगा,
जहाँ “ऑनलाइन दुनिया भी बेटियों के लिए सुरक्षित हो।” 🌸