💡 शिक्षकों के लिए Cashless इलाज योजना अब भी अधर में — सरकार की घोषणा और हकीकत के बीच बड़ा फासला

💡 शिक्षकों के लिए Cashless इलाज योजना अब भी अधर में — सरकार की घोषणा और हकीकत के बीच बड़ा फासला

🖋️ ग्राउंड रिपोर्ट — सरकारी कलम


लखनऊ, अक्टूबर 2025।
दीपावली से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षकों के लिए कैशलेस इलाज सुविधा लागू करने की घोषणा की थी। यह योजना राज्य के लाखों शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए राहत की बड़ी उम्मीद के रूप में देखी जा रही थी। लेकिन अब दीपावली बस दरवाजे पर है, और हकीकत यह है कि अभी तक योजना ज़मीन पर उतर नहीं पाई है


🔍 सरकार का वादा — “अब शिक्षक को इलाज के लिए जेब से पैसा नहीं देना होगा”

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अगस्त 2025 में कहा था कि

“राज्य के शिक्षक और कर्मचारी अब सरकारी मान्यता प्राप्त अस्पतालों में कैशलेस इलाज करवा सकेंगे। उनके लिए एक एकीकृत हेल्थ कार्ड जारी किया जाएगा।”

यह बयान शिक्षकों के बीच एक नई उम्मीद की तरह था। स्कूलों में चर्चा का विषय यही था कि अब इलाज के लिए लोन नहीं लेना पड़ेगा, न ही मेडिकल बिलों के लिए विभागों के चक्कर लगाने पड़ेंगे।


🏥 ग्राउंड रियलिटी: अस्पतालों में नहीं कोई सिस्टम, न कार्ड, न पोर्टल

सरकारी कलम की टीम ने लखनऊ, प्रयागराज, कानपुर और गोरखपुर के कई सरकारी और प्राइवेट एम्पैनल्ड अस्पतालों का दौरा किया।
अधिकांश अस्पतालों में इस योजना के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं थी।

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लखनऊ के एक बड़े अस्पताल के हेल्प डेस्क पर जब शिक्षक पहचान पत्र दिखाकर पूछा गया, तो जवाब मिला —

“सरकार से अभी तक कोई आदेश या पोर्टल लिंक नहीं आया है। फिलहाल पुराने नियमों के तहत ही इलाज करवाना होगा।”

इसी तरह प्रयागराज के सरकारी मेडिकल कॉलेज में भी कर्मचारियों को बताया गया कि

“सिस्टम अभी अपडेट नहीं हुआ है। जब सॉफ्टवेयर या कार्ड मिलेगा तभी कैशलेस इलाज संभव होगा।”


📜 शिक्षक संगठनों का आरोप — “सिर्फ घोषणा हुई, क्रियान्वयन नहीं”

राज्य शिक्षक संघ के एक पदाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने सरकारी कलम को बताया कि —

“सरकार ने दीपावली से पहले कैशलेस इलाज शुरू करने का ऐलान किया था, लेकिन कोई नोटिफिकेशन, न कार्ड वितरण, न पोर्टल अपडेट हुआ। यह सिर्फ घोषणा बनकर रह गई है। शिक्षकों के साथ यह अन्याय है।”


💬 शिक्षकों की आवाज़: “जब बीमार पड़ते हैं, तब ही पता चलता है हकीकत क्या है”

बलिया के प्राथमिक शिक्षक राकेश मिश्रा ने बताया —

“मेरी पत्नी का इलाज कराने अस्पताल गया तो कहा गया कि पहले पूरा बिल जमा करो, बाद में क्लेम मिलेगा। अगर यही कैशलेस योजना है, तो इसका मतलब ही खत्म हो जाता है।”

गोंडा की शिक्षिका सीमा सिंह ने कहा —

“हर बार चुनाव से पहले ऐसी घोषणाएं होती हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं। शिक्षक समाज अब सिर्फ भाषण नहीं, सुविधा चाहता है।”


⚙️ क्या है देरी की वजह?

स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार, देरी की बड़ी वजहें निम्न हैं:

  1. इंटीग्रेटेड पोर्टल (e-HRMS और स्वास्थ्य विभाग के बीच) अभी तैयार नहीं है।
  2. एम्पैनलमेंट प्रक्रिया अधूरी है — कई निजी अस्पतालों ने दरें तय करने पर आपत्ति जताई है।
  3. टीचर हेल्थ कार्ड का डिजिटल डिज़ाइन और डाटा लिंकिंग अभी ट्रायल में है।

📅 अब आगे क्या?

सूत्रों के मुताबिक, योजना अब जनवरी 2026 से लागू करने का लक्ष्य रखा गया है।


🕯️ “दीपावली से पहले कैशलेस इलाज” — बना एक अधूरा वादा

सरकार की मंशा भले अच्छी रही हो, लेकिन ज़मीन पर प्रशासनिक सुस्ती और तकनीकी खामियों के कारण यह योजना फिलहाल सिर्फ कागज़ों में है।
शिक्षक समाज उम्मीद कर रहा है कि यह वादा दीपावली की रोशनी के साथ धुंधला न पड़े, बल्कि सच में उम्मीद की किरण बनकर सामने आए।


🗞️ सरकारी कलम टिप्पणी:

जब शिक्षक समाज को ही सुरक्षा और सम्मान नहीं मिलेगा, तो शिक्षा व्यवस्था मजबूत कैसे होगी?
सरकार को चाहिए कि वह घोषणा नहीं, क्रियान्वयन पर ध्यान दे — ताकि अगली बार दीपावली सिर्फ रोशनी की नहीं, राहत की भी हो।


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