📲 अब परिषदीय स्कूलों में रोजाना लगेगी बच्चों की डिजिटल हाजिरी — सीएम डैशबोर्ड से जुड़ेगा नया प्रोजेक्ट, नवंबर से होगी समीक्षा
✍️ सरकारी कलम डेस्क | लखनऊ
प्रदेश के 1.33 लाख परिषदीय विद्यालयों में पढ़ रहे 1.50 करोड़ से अधिक बच्चों की अब डिजिटल उपस्थिति (Digital Attendance) दर्ज की जाएगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की निगरानी में अब छात्रों की रोजाना उपस्थिति सीधे सीएम डैशबोर्ड पर दिखाई देगी। 🎯
यह कदम न सिर्फ पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में जवाबदेही तय करने का भी बड़ा प्रयास माना जा रहा है।
अक्टूबर के डाटा के आधार पर इस प्रोजेक्ट की समीक्षा नवंबर से शुरू होगी।
📡 सीएम डैशबोर्ड से जुड़ा नया प्रोजेक्ट
महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने इस संबंध में सभी मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक), जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) और खंड शिक्षा अधिकारियों (BEO) को निर्देश जारी किए हैं।
उन्होंने बताया कि सीएम डैशबोर्ड पर बेसिक शिक्षा विभाग का नया प्रोजेक्ट “स्टूडेंट अटेंडेंस” एकीकृत कर दिया गया है।
अब विद्यालयों में उपस्थित छात्रों की संख्या मुख्यमंत्री डैशबोर्ड पर स्वतः प्रदर्शित होगी।
🗓️ नवंबर से समीक्षा शुरू होगी, और अक्टूबर के आंकड़ों के आधार पर जिलों की परफॉर्मेंस रैंकिंग तय की जाएगी।
📸 ऐसे लगेगी डिजिटल अटेंडेंस
अब बच्चों की फोटो स्कूल समय में खींचकर उन्हें “प्रेरणा पोर्टल” पर अपलोड करना अनिवार्य होगा।
इससे छात्र उपस्थिति की रियल टाइम मॉनिटरिंग संभव हो सकेगी।
प्रक्रिया:
- शिक्षक सुबह बच्चों की फोटो खींचेंगे।
- फोटो और उपस्थिति डाटा प्रेरणा पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।
- यह डाटा सीधे सीएम डैशबोर्ड से सिंक होगा।
- जिला व राज्य स्तर पर दैनिक समीक्षा संभव होगी।
🧾 जिलों की रैंकिंग पर असर
अब डिजिटल अटेंडेंस को जिला रैंकिंग निर्धारण में भी शामिल किया जाएगा।
इससे जिन जिलों में बच्चों की उपस्थिति कम होगी, वहां की रैंकिंग नीचे जाएगी, और जिला प्रशासन को भी जवाब देना होगा।
यानी, अब केवल शिक्षक ही नहीं, बल्कि पूरा प्रशासन भी जिम्मेदार रहेगा। ⚠️
🔙 पिछली बार हुआ था विरोध
गौरतलब है कि पिछले सत्र में टाइम एंड मोशन स्टडी के आधार पर शिक्षकों की डिजिटल उपस्थिति लागू की गई थी, जिसके चलते प्रदेशभर में विरोध हुआ था।
इसके बाद परियोजना को अस्थायी रूप से रोक दिया गया था।
हालांकि अब स्टूडेंट अटेंडेंस सिस्टम को प्राथमिकता पर लागू किया जा रहा है।
💻 स्कूलों को टैबलेट मिले, तैयारी पूरी
राज्य सरकार ने पहले ही प्रत्येक विद्यालय में दो टैबलेट उपलब्ध कराए हैं ताकि डेटा एंट्री और अपलोडिंग में कोई देरी न हो।
महानिदेशक ने निर्देश दिए हैं कि सभी जिले डेटा फीडिंग और अपडेटिंग की प्रक्रिया सुनिश्चित करें, ताकि तकनीकी अड़चन न आए।
🧠 सरकारी कलम की राय
यह कदम उत्तर प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में डिजिटल क्रांति का मजबूत संकेत है।
अगर इसे प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो इससे न सिर्फ बच्चों की स्कूल में उपस्थिति बढ़ेगी, बल्कि घोस्ट एनरोलमेंट जैसी समस्याओं पर भी अंकुश लगेगा। 👏
📌 निष्कर्ष
अब यूपी के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था “डिजिटल पारदर्शिता” के युग में प्रवेश कर रही है।
सीएम डैशबोर्ड पर बच्चों की हाजिरी देखना आने वाले समय में शासन और जनता — दोनों के लिए एक भरोसेमंद संकेतक बनेगा।