📰 अल्पसंख्यक स्कूलों में टीईटी छूट बच्चों के शिक्षा अधिकार का उल्लंघन: सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी 📚⚖️

📰 अल्पसंख्यक स्कूलों में टीईटी छूट बच्चों के शिक्षा अधिकार का उल्लंघन: सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी 📚⚖️

नई दिल्ली।
अल्पसंख्यक स्कूलों को आरटीई (शिक्षा का अधिकार कानून) के दायरे से बाहर रखना और टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) से छूट देना बच्चों के शिक्षा के मूल अधिकार के खिलाफ है — यह बात सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक हस्तक्षेप अर्जी में कही गई है।

अर्जीकर्ता खेम सिंह भाटी ने कोर्ट से पक्ष रखने की अनुमति मांगते हुए कहा कि टीईटी परीक्षा बच्चों को योग्य शिक्षकों से शिक्षा दिलाने की गारंटी है। इस परीक्षा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश के हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले। इसलिए अल्पसंख्यक स्कूलों को टीईटी से छूट देना बच्चों के साथ अन्याय है।


⚖️ सुप्रीम कोर्ट का रुख: बड़ी पीठ करेगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने एक सितंबर को दिए आदेश में कहा था कि

“कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य है,”
लेकिन फिलहाल अल्पसंख्यक स्कूलों को अस्थायी छूट दी गई है और मामला बड़ी पीठ के पास भेजा गया है।

दो जजों की बेंच ने इस दौरान “प्रमति एजूकेशनल एंड कल्चरल ट्रस्ट बनाम भारत सरकार” केस में दिए गए पुराने फैसले पर सवाल उठाया था, जिसमें अल्पसंख्यक स्कूलों को आरटीई के दायरे से बाहर रखा गया था।

अब प्रधान न्यायाधीश को इस मुद्दे पर बड़ी पीठ गठित करनी है, ताकि यह तय हो सके कि क्या इन स्कूलों को आरटीई और टीईटी से छूट दी जानी चाहिए या नहीं।


📄 हस्तक्षेप अर्जी में क्या कहा गया?

अर्जीकर्ता ने कहा कि —

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  • प्रमति जजमेंट में कानून की सही व्याख्या नहीं की गई।
  • इस फैसले से बच्चों का योग्य शिक्षक से पढ़ने का अधिकार बाधित होता है।
  • शिक्षा का अधिकार सभी के लिए समान है, धर्म या प्रबंधन के आधार पर इसमें भेदभाव नहीं होना चाहिए।

🎓 क्यों जरूरी है टीईटी?

टीईटी परीक्षा न सिर्फ एक योग्यता मापदंड है, बल्कि यह सुनिश्चित करती है कि

  • बच्चों को प्रशिक्षित, ज्ञानवान और जिम्मेदार शिक्षक मिलें।
  • शिक्षा की गुणवत्ता में एकरूपता बनी रहे।
  • सरकारी और निजी संस्थानों के बीच समान शैक्षणिक मानक कायम रहें।

🧾 साथ ही आज कोर्ट में तीन और अहम फैसले 👇

💰 जीएसटी घटने पर कीमतों में कमी दिखनी चाहिए: दिल्ली हाई कोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि जीएसटी दरों में कमी का सीधा लाभ उपभोक्ताओं को मिलना चाहिए।

“कीमतें घटे बिना सिर्फ मात्रा बढ़ाना या प्रमोशनल ऑफर देना टैक्स रियायत का वास्तविक लाभ नहीं है।”

यह फैसला 22 सितंबर 2025 से लागू नए कर ढांचे के संदर्भ में महत्वपूर्ण मिसाल माना जा रहा है।


🪖 बीमार सैनिक की मौत को माना जाएगा सैन्य सेवा से जुड़ा मामला: पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट

चंडीगढ़ हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की याचिका खारिज करते हुए कहा —

“सेवा के दौरान बीमार सैनिक की मृत्यु सैन्य सेवा से जुड़ी मानी जाएगी।”

इस आदेश से सलोचना वर्मा जैसी कई माताओं को अब विशेष पारिवारिक पेंशन का लाभ मिलेगा।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सैनिक की बीमारी सेवा की परिस्थितियों से जुड़ी मानी जाएगी, इसलिए परिजनों को न्याय मिलना चाहिए।



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