1️⃣ पाकिस्तान जिंदाबाद सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करना अपराध नहीं 😯 हाइकोर्ट – आरोपी को मिली जमानत

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सरकारी कलम डेस्क | प्रयागराज


1️⃣ पाकिस्तान जिंदाबाद पोस्ट मामला – आरोपी को मिली जमानत

मेरठ के साजिद चौधरी नामक युवक पर आरोप था कि उसने एक सोशल मीडिया पोस्ट पर टिप्पणी लिखी – “कामरान भट्टी, मुझे आप पर गर्व है, पाकिस्तान जिंदाबाद।” इस पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर उसे जेल भेज दिया।

➡️ हाईकोर्ट का फैसला:

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  • न्यायमूर्ति संतोष राय की अदालत ने युवक की जमानत मंजूर की।
  • कहा गया कि सोशल मीडिया पर किसी दूसरे की पोस्ट को महज फॉरवर्ड करना या उस पर कमेंट करना सीधे-सीधे देश की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ अपराध नहीं माना जा सकता।
  • कोर्ट ने यह भी कहा कि पोस्ट को अपराध मानने से पहले इसे एक मजबूत और समझदार व्यक्ति की दृष्टि से परखना चाहिए।
  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान की रीढ़ है, और इसे संकीर्ण दृष्टि से नहीं देखा जा सकता।

2️⃣ संभल में मस्जिद व मैरिज हॉल ध्वस्तीकरण विवाद

संभल में तालाब की जमीन पर बने एक मैरिज हॉल और मस्जिद के ध्वस्तीकरण आदेश के खिलाफ मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।

➡️ हाईकोर्ट का फैसला:

  • न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई की लेकिन कोई अंतरिम राहत नहीं दी।
  • कमेटी को जमीन के कागजात दाखिल करने के लिए समय दिया गया है।
  • अगली सुनवाई शनिवार को होगी।

3️⃣ कन्नौज – श्री ठाकुर जी महाराज मंदिर की जमीन पर विवाद

कन्नौज के छिबरामऊ क्षेत्र में मंदिर की जमीन पर लगी फसलों को लेकर दो पक्षों में विवाद है।

➡️ हाईकोर्ट का फैसला:

  • न्यायमूर्ति नलिन कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने विपक्षियों को नोटिस जारी किया।
  • कोर्ट ने फसलों की कटाई पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।
  • अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी।

4️⃣ प्रयागराज – मस्जिद पर बम फेंकने के आरोपी को राहत

खुल्दाबाद स्थित मस्जिद की दीवार पर बम फेंकने के मामले में पुलिस पहले ही दो आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। तीसरे आरोपी रिजवान ने गिरफ्तारी पर रोक की मांग की।

➡️ हाईकोर्ट का फैसला:

  • न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय और जफीर अहमद की खंडपीठ ने रिजवान की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी।
  • कहा गया कि एफआईआर और केस डायरी से उसके खिलाफ अपराध सिद्ध नहीं होता।
  • दर्ज मामले में अधिकतम सजा केवल छह माह या ₹5000 जुर्माना का प्रावधान है।

🔎 निष्कर्ष

इलाहाबाद हाईकोर्ट के ये फैसले दिखाते हैं कि न्यायालय हर मामले को संवैधानिक मूल्यों, मौलिक अधिकारों और साक्ष्यों के आधार पर परखता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, धार्मिक स्थलों के विवाद और अभियुक्तों के अधिकार – सभी पहलुओं को संतुलित दृष्टि से देखा जा रहा है।


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