टीईटी अनिवार्यता पर फिर से बढ़ी हलचल, अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने दाखिल की पुनर्विचार याचिका
नई दिल्ली/लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य किए जाने के बाद देशभर के शिक्षकों में गहरी नाराज़गी और बेचैनी देखने को मिल रही है। इसी कड़ी में अब आल इंडिया प्राइमरी टीचर फेडरेशन (अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ) की ओर से भी पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है।
📌 1.86 लाख शिक्षक प्रभावित
प्रदेश में ही करीब 1.86 लाख शिक्षक सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से प्रभावित हो रहे हैं। इन शिक्षकों का कहना है कि वे पहले ही नियुक्ति प्रक्रिया की कसौटी पर खरे उतर चुके हैं, ऐसे में दोबारा टीईटी थोपना अन्यायपूर्ण और आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाने वाला कदम है।
👨🏫 संघ की अपील
अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि—
“शिक्षक पात्रता अनिवार्य किए जाने के आदेश को निरस्त कराने के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है। इस मामले में केंद्र सरकार और शिक्षा मंत्रालय की ओर से आवश्यक पहल की जानी चाहिए, ताकि देश भर के लाखों शिक्षकों का हित सुरक्षित हो सके।”
🙋♂️ मौजूद रहे पदाधिकारी
इस अवसर पर संगठन के कई पदाधिकारी उपस्थित रहे—
- नरेश कौशिक
- डॉ. अनुज त्यागी
- वीरेंद्र प्रताप सिंह
- विनोद नागर
- रविंद्र राणा
- प्रवीन कुमार
- वीरपाल सिंह
- विनोद त्यागी
- जितेंद्र नैन
इन सभी ने एक स्वर में कहा कि अनुभवी शिक्षकों को दोबारा पात्रता परीक्षा में बाँधना शिक्षा व्यवस्था को कमजोर करेगा, न कि मजबूत।
✍️ सरकारी कलम की राय
शिक्षकों का अनुभव और वर्षों की सेवा ही उनकी सबसे बड़ी पात्रता है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से लाखों शिक्षक मानसिक दबाव और असमंजस में आ गए हैं।
👉 सरकारी कलम का मानना है कि सरकार को तुरंत आगे आकर इस मुद्दे पर सकारात्मक पहल करनी चाहिए। पुनर्विचार याचिकाओं को गंभीरता से लिया जाए और जुलाई 2011 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से छूट दी जाए।
📢 सरकारी कलम की आवाज़: “शिक्षक केवल नौकरी करने वाले कर्मचारी नहीं, बल्कि समाज का भविष्य गढ़ने वाले निर्माता हैं। उनके अनुभव का सम्मान होना चाहिए, न कि परीक्षा की बेड़ियों में बाँधा जाना।” ✨